रीवा/हनुमना। अखिल त्रिपाठी। जिले के हनुमना में आने वाली धान खरीदी केंद्र सेवा सहकारी समिति मर्यादित पाँती जिस को दो केद्रों पाती क्रमांक 1 और पांती क्रमांक 2 में बांट दिया गया है। पांती क्रमांक 1 में जो खरीदी हो रही है वो मिसिरगवा ग्राम पंचायत में हो रही है। किसानों का आरोप है कि जिसमें खरीदी देखने ना तो समिति प्रबंधक और ना ही प्रभारी रहते हैं। किसानों का हाल इतना बुरा है कि 8- 10 दिन से केन्द्र में डेरा डाले हुए है लेकिन यहां ना पानी की व्यवस्था है और ना लकड़ी की। समिति प्रबंधक केवल कागज के पन्नों पर चल रही है। हद तो तब हो जाती है जब व्यापारी अपने घर में ही शासन के बारदाने धान भर कर और वजन कर खरीदी में पहुचा देते है। इतना ही नहीं दलाल व्यापारियों की सिलाई की हुई बारियों को खुलवा कर शासन कि सिलाई मशीन से सिलाई करवा देते है और मुंह मांगी राशि वसूल लेते हैं। 10 दिन पहले से नंबर लगा कर बैठे हैं किसान कड़ाके की ठंडे में अपने धान की रक्षा करते हुए इस उम्मीद में बैठे रहते हैं कि कोई शासन-प्रशासन का जिम्मेदार आए और मेरी मदद करें लेकिन यहां दलालों के अलावा कोई नहीं।
समिति प्रबंधक के द्वारा किसानों को लूटने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है। समिति प्रबंधक के द्वारा किसानों को लगातार लूट का शिकार बनाया जा रहा है, जबकि किसानों का कहना है कि बीते 6 से 7 दिन हो गए, लेकिन आज दिनांक तक खरीदी नहीं हो पा रही है। जबकी समिति प्रबंधक के जो खास लोग है उनकी खरीदी पहले हो जाती है एवं समित प्रबंधक के द्वारा किसानों से तीन से चार रुपए प्रति बोरी लिया जा रहा है। बारिश होने के बावजूद भी किसान समिति में अपनी धान लेकर बैठा रहता है, जबकी किसानों के द्वारा बताया गया की समिति प्रबंधक के द्वारा किसानों को डाराया जाता है कि कोई किसान समिति प्रबंधक के खिलाफ अगर शिकायत करेगा तो उसकी धान खरीदी में महीनो का समय लग जाएगा। जिस कारण कोई भी किसान समिति प्रबंधक के खिलाफ शिकायत करने से घबराता है। धान खरीदी केंद्र में बारिश की वजह से कई टन धान को नुकसान पहुंचा है। जब इसके बारे में समिति प्रबंधक से बात की गई तो प्रबंधक का सीधा कहना था कि आप शिकायत कर दीजिये जवाब मैं अपने विभाग को दे दूंगा। समिति प्रबंधक के इस हौसले से साफ पता चलता है कि समिति प्रबंधक अवैध वसूली डंके की चोट पर कर रहा है और उसे किसी भी आलाधिकरी का डर नही है।
शासन के बरदानों में धान भरी हुई और सिलाई भी थी जिसे बाद में सिलाई तोडक़र शासन की सिलाई करते हुए का वीडियो मीडिया के कैमरे में कैद हुआ। किसानों के हित के लिए लगातार धरने पर बैठते आए मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल को जैसे ही इसकी जानकारी हुई कि समिति प्रबंधन द्वारा किसानों के साथ अभद्र व्यवहार किया जा रहा है वे तुरंत मौके पर पहुंचे और धरने पर बैठ गए। बड़ा सवाल तो यही उठता है अनुविभागीय अधिकारी किसके इशारे पर खेल खिलवा रहे हैं। इसका अंदाजा ना विधायक और ना किसान लगा पा रहे हैं। अब देखना है तो यह दिलचस्प है की विधायक के धरना बैठने पर आखिर क्या कार्यवाही होती है और कब तक।