राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मंगलवार को उत्तराखंड दौरे पर रहीं। अपने दौरे के दौरान उन्होंने धार्मिक और शैक्षणिक दोनों ही कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। सुबह राष्ट्रपति मुर्मू ने नैनीताल के प्रसिद्ध नैना देवी मंदिर में पूजा-अर्चना की और देश की खुशहाली की कामना की। इसके बाद उन्होंने कैंचीधाम पहुंचकर बाबा नीब करौरी महाराज के दर्शन किए और आश्रम में पूजा-पाठ किया। राष्ट्रपति के इस दौरे को लेकर स्थानीय श्रद्धालुओं और अधिकारियों में उत्साह का माहौल रहा।
राजभवन के गेट निर्माण का किया उद्घाटन
नैनीताल पहुंचने के बाद राष्ट्रपति ने राजभवन के गेट निर्माण का उद्घाटन किया। इसके बाद वह कुमाऊं विश्वविद्यालय के 20वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं। यह समारोह डीएसबी परिसर में आयोजित किया गया था, जिसमें राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह और उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत भी मौजूद रहे। समारोह में कुल 16 हजार से अधिक मेधावी छात्रों को डिग्रियां दी गईं, जबकि स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक विजेताओं को राष्ट्रपति ने स्वयं सम्मानित किया।
राष्ट्रपति मुर्मू ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि अन्न दान से बड़ा कोई दान नहीं, लेकिन शिक्षा का दान सबसे श्रेष्ठ है। उन्होंने कहा कि शिक्षित युवा ही राष्ट्र निर्माण की असली ताकत हैं, इसलिए हर विद्यार्थी को अपने ज्ञान का उपयोग समाज और देश के विकास में करना चाहिए। उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय से जुड़े शिक्षकों और छात्रों से कहा कि वे आसपास के गांवों में जाकर आत्मनिर्भरता की दिशा में काम करें।
संबोधन में राष्ट्रपति ने किया कहा?
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार का लक्ष्य वर्ष 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाना है। इसके लिए युवाओं को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और नवाचार व उद्यमिता की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे केवल नौकरियों के लिए नहीं, बल्कि नए अवसर सृजित करने के लिए भी आगे आएं।
राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति के इस दौरे को उत्तराखंड के लिए विशेष महत्व का माना जा रहा है। उन्होंने राज्यवासियों को रजत जयंती की शुभकामनाएं दीं और कहा कि उत्तराखंड प्राकृतिक सुंदरता और प्रतिभा दोनों से समृद्ध है। राष्ट्रपति मुर्मू शाम को दिल्ली के लिए रवाना होंगी।





