कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर, मिलेगा 25% महंगाई भत्ते का लाभ, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिए ये निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से कहा कि वह अपने कर्मचारियों को अगले तीन महीने में बकाया महंगाई भत्ते (डीए) के 25 प्रतिशत का भुगतान करे।इससे राज्य के करीब छह लाख कर्मचारियों को लाभ होगा।

DA Hike West Bengal :पश्चिम बंगाल के लाखों सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है। सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को 25% का महंगाई भत्ता अदा करने का आदेश दिया है। जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता ने बंगाल सरकार को अंतरिम आदेश जारी कर तीन महीने के अंदर कर्मचारियों को डीए (2009 से 2019 तक ) देने को कहा है।

इस फैसले से राजकोष पर 10,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा क्योंकि डीए का कुल बकाया करीब 41,000 करोड़ रुपये है। इससे 6 लाख कर्मचारी लाभान्वित होंगे। इस मामले की अगली सुनवाई अब अगस्त में होगी। हालांकि इस वृद्धि के बाद भी केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों के बीच डीए का अंतर 30% है, क्योंकि वर्तमान में केन्द्रीय कर्मचारियों को जनवरी 2025 से 55% के हिसाब से डीए का लाभ मिल रहा है।

अप्रैल 2025 से बढ़ा है 4 फीसदी डीए

दरअसल, फरवरी में पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 3.89 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया था, जिसमें राज्य के 10 लाख कर्मचारियों पेंशनरों का अप्रैल 2025 से महंगाई भत्ता (डीए) चार प्रतिशत बढ़ाने का भी ऐलान किया था, जिसके बाद डीए की दर 14% से बढ़कर 18 फीसदी हो गई थी।इस संबंध में वित्त विभाग ने मार्च में आदेश भी जारी कर दिए है। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने इसे 25% तक करने का आदेश दिया है।

अब भी केन्द्र व राज्य कर्मियों में 30% डीए का अंतर

गौरतलब है कि लंबे समय से पश्चिम बंगाल के सरकारी कर्मचारी मंहगाई भत्ता वृद्धि की मांग कर रहे हैं। 2022 में कोलकाता हाईकोर्ट ने बंगाल सरकार को केंद्र की तर्ज पर महंगाई भत्ता देने का आदेश दिया था। बंगाल सरकार ने नवंबर 2022 में इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और कहा था कि वो केंद्र सरकार के जितना महंगाई भत्ता नहीं दे सकती है। इसी बीच फरवरी 2025 में पेश किए गए बजट में अप्रैल 2025 से 4% डीए बढ़ाया गया, जिसके बाद दर 18% हो गई लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने 3 महीने के अंदर 25% डीए देने के आदेश दिए है। हालांकि इस फैसले के बाद भी अब भी केन्द्र व राज्य कर्मियों में 30% डीए का अंतर है।


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Pooja Khodani

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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