सिंधिया का पलटवार- मेरे आने से कम से कम कांग्रेस नेता घर से बाहर तो निकले

Pooja Khodani
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना

सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (MP Jyotiraditya Scindia) ने दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) की बातों पर पलटवार करते हुए करारा जवाब दिया है। उन्होंने आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि चलो अच्छा है पांच महीने बाद कांग्रेस नेता घर से बाहर तो निकले और जनता जो उनके चेहरे दिखाई दिये।

ग्वालियर में आयोजित भाजपा के संभाग स्तरीय सदस्यता ग्रहण समारोह में शामिल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयानों का जवाब आज ग्वालियर में मौजूद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने दिया। उन्होंने दोनों नेताओं पर निशाना साधा। दिग्विजय सिंह ने कहा कि सत्ता के लिए सिंधिया ने सौदा किया उन्हें जनता की नहीं पद की लालसा थी। अब वे बड़ी बड़ी बातें कर रहे हैं जबकि वे अब वे विश्वास खो चुके हैं। दिग्विजय के बातों का जवाब देते हुए सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि अब तक कांग्रेस कहाँ थी, मैं जब ग्वालियर आया तो कांग्रेस दिखने लगी। मुझे खुशी है कि मेरे बहाने कांग्रेसी पांच महीने बाद घर से तो निकले, जनता को उनका चेहरा तो दिखा। सिंधिया ने कांग्रेस के प्रदर्शन पर तंज कसते हुए कहा कि जनता के मुद्दों पर कभी कांग्रेस ने प्रदर्शन नहीं किया, किसानों की कर्ज माफी के लिए कभी प्रदर्शन नहीं किया, वादाखिलाफ़ी पर कभी प्रदर्शन नहीं किया। कोरोना काल में जन सेवा के नाम पर कभी प्रदर्शन नहीं किया और आज मेरे ग्वालियर आते ही प्रदर्शन कर रहे हैं। चलो अच्छा है कांग्रेस बाहर तो आई। उन्होंने उपचुनावों में सभी सीटों पर जीत के कांग्रेस के दावे पर जवाब देते हुए कहा कि मैं हार जीत की बात नहीं करता ना ही चिंता करता हूँ। हम जनता की अदालत में हैं फैसला जनता ही करती है। उन्होंने कहा कि किसी भी दल की पहचान और मजबूती उसका नेता नहीं कार्यकर्ता होता हॉ वो बहुत मजबूत कड़ी होता है इसलिए मुझे विश्वास है कि जो लोग भाजपा में शामिल हो रहे हैं वे पुराने कार्यकर्ताओ के साथ मिलकर प्रदेश की हर विधानसभा के हर घर पर भाजपा का झंडा लहरायेंगे जो प्रदेश की प्रगति और विकास के लिए होगा ना कि पद और कुर्सी के लिए।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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