भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। पूर्व राज्यसभा सांसद (former rajyasabha mp) और वरिष्ठ बीजेपी नेता रघुनंदन शर्मा (raghunandan sharma) एक बार फिर अपनी ही पार्टी की नीतियों के खिलाफ मैदान में है। रघुनंदन शर्मा ने देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (agriculture minister narendra singh tomar) को एक पत्र लिखा है और इस पत्र के माध्यम से वर्तमान में चल रहे किसान आंदोलन (farmer protest) को लेकर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं ।
रघुनंदन शर्मा ने पत्र में लिखा है कि यदि कोई खुद अपनी भलाई नहीं होने देना चाहता तो भलाई करने का औचित्य क्या है ।यह जनमत जो पाया गया है वह हजारों राष्ट्र वादियों की जवानियां, त्याग, समर्पण और परिश्रम से मिला है ।यह आपके परिश्रम का फल नहीं, जैसा आपको भ्रम हो गया है। रघुनंदन शर्मा के इस पत्र में क्या लिखा है जानिये..
” प्रिय नरेंद्र जी, आप भारत शासन में सहयोगी एवं सहभागी है। आज की राष्ट्रवादी सरकार बनने तक हजारों राष्ट्रवादयो ने अपने जीवन और यौवन को खपाया है। पिछले 100 वर्षों से जवानियां अपने त्याग, समर्पण और परिश्रम से मातृभूमि की सेवा तथा राष्ट्रहित सर्वोपरि की विचारधारा के विस्तार में लगी हुई है।
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आज आपको सत्ता के जो अधिकार प्राप्त हैं, वह आपके परिश्रम का फल है, यह आपको भ्रम हो गया है। सत्ता का मद जब चढता है तो नदी, पहाड़ और वृक्ष की तरह दिखाई नहीं देता, वह अदृश्य होता है जैसा अभी आपके सिर पर चढ गया है ।प्राप्त दुर्लभ जनमत को क्यों खो रहे हो ?कांग्रेस की सभी सड़ी गली नीतियां हम ही लागू करें, यह विचारधारा के हित में नहीं है। बूंद बूंद से घड़ा खाली होता है। जनमत के साथ भी यही है।
आपकी सोच कृषकों के हित में हो सकती है परंतु कोई स्वयं का भला नहीं होने देना चाहता तो बलात भलाई का क्या औचित्य है। कोई नंगा नंगा ही रहना चाहता तो बलपूर्वक कपड़े क्यों पहनाना। आप राष्ट्रवाद को बलशाली बनाने में संवैधानिक शक्ति लगाओ। कहीं हमें बाद में पछताना न पड़े। सोचता हूं विचारधारा के भविष्य को सुरक्षित रखने का संकेत समझ गए होंगे।