बेवजह बह रहे पानी पर लगेगी रोक, घरों की पानी की टंकियों में लगाए जाएंगे सेंसर

भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। पानी को बेवजह (Wastage of water) बहने से बचाने के लिए और शुद्ध जल (pure water) सभी तक पहुंचाने के लिए अब घरों की टंकी में सेंसर (sensor) लगाने का फैसला लिया गया है, जिसे पता लग जाएगा कि पानी की टंकी (Water Tanks) भर चुकी है या नहीं। साथ ही पानी की क्वालिटी (water quality) का प्रशिक्षण करने के लिए भी हर घर में उपकरण भी उपलब्ध कराए जाएंगे। वहीं ग्रामीण स्तर पर डैश बोर्ड का इंतजाम किया जाएगा, जिससे पानी का प्रबंध किया जा सके और उसकी बेहतर मॉनिटरिंग की जा सके। बीते दिन हुई केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की बैठक में इस बात का फैसला लिया गया हैं।

दरअसल केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Union Water Power Minister Gajendra Singh Shekhawat) जल मिशन और अटल भूजल योजना की मंत्रालय में समीक्षा कर रहे थे। इसी दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हर घर और गांव में भूजल की स्थिति, जल स्रोतों और पानी की उपयोगिता को लेकर लोगों को जागरूक करने की बहुत आवश्यकता है, जिससे वह पानी का महत्व समझे और उससे फिजुल में बर्बाद ना करे। साथ ही उन्होंने सभी गांव में जल प्रबंधन के लिए समितियां बनाने और ग्राम पंचायत के माध्यम से जल प्रबंधन हो इसके निर्देश भी दिए हैं। जल बचाओ के लिए हर गांव में जल कार्य योजना को भी तैयार किया जाएगा।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।