Spiritual Sarees: फैशन के साथ धार्मिक आस्थाओं को सहेजे है ये 5 साड़ियां, एक का इतिहास है 1700 साल पुराना

Diksha Bhanupriy
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Spiritual Sarees Of India: वैसे तो फैशन के लिहाज से आजकल बाजार में रोजाना एक से बढ़कर एक आउटफिट लॉन्च होते हैं, जिन्हें महिलाएं अपनी पसंद के अनुसार पहनती हैं। इंडियन से लेकर वेस्टर्न सभी में एक से बढ़कर एक वैरायटी मौजूद है जो किसी की भी खूबसूरती में चार चांद लगा सकती है।

वैसे तो हर महिला की पसंद अलग होती है। किसी को वेस्टर्न पहनना अच्छा लगता है तो कोई इंडियन आउटफिट पहनना प्रेफर करता है। वैरायटी भले चाहे कितनी भी हो लेकिन साड़ी में महिला की खूबसूरती जिस तरह से निखर कर सामने आती है, वैसी खूबसूरती कोई और आउटफिट उन्हें नहीं दे सकता है। ये खूबसूरत इंडियन अटायर अब न सिर्फ देश बल्कि विदेशों तक अपनी पहचान बन चुका है।

भारत में जब आप साड़ी खरीदने के लिए मार्केट में निकलेंगे तो आपको एक नहीं बल्कि हजारों तरह की वैरायटी मिल जाएगी। आज हम आपको उन पांच खास साड़ियों के बारे में बताते हैं, जिनका हिंदू धर्म से खास महत्व जुड़ा हुआ है और ये अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए पहचानी जाती है। सबसे खास बात ये है कि यह साड़ियां फैशनेबल लुक देने के साथ-साथ हमें धार्मिक कहानियां सुनाती हुई भी नजर आती है। तो चलिए आज हम आपको धर्म के करीब ले जाने वाली इन खूबसूरत साड़ियों के बारे में बताते हैं।

मधुबनी साड़ी

बिहार की प्रसिद्ध मधुबनी लोक कला ही मधुबनी आर्ट के नाम से पहचानी जाती है। घर की दीवारों पर की जाने वाली इस कला में पौराणिक कथाओं का जिक्र चित्रों के माध्यम से किया जाता है। हालांकि, इस कला को विशेष समय के दौरान प्रदर्शित किया जाता है।

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पहले के जमाने में जब किसी घर में शादी हुआ करती थी तो महिलाएं लोकगीत गाते हुए घर की दीवारों पर भगवान श्री राम और माता सीता के चित्र उकेरा करती थी। इन्हीं चित्रों को अब दीवारों की जगह साड़ियों पर उकेरा जाने लगा है। ये बहुत ही पुरानी कल है और इसमें दुल्हन की साड़ी पर राम सीता के चित्र उकेरे जाते हैं, जो उसे पीहर से दी जाती है और वो इसे अपने ससुराल में पहनती है।

बालूचरी साड़ी

बालूचरी साड़ी का इतिहास बहुत ही पुराना है और इसका हिंदू धर्म से गहरा नाता है। इसका निर्माण बंगाल के मुर्शिदाबाद के बालुचर गांव में किया जाता था और यहीं के नाम पर इसका यह नाम पड़ा है। इस साड़ी पर चित्रों के माध्यम से कथाओं का वाचन किया जाता है।

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बालुचर में रहने वाले कारीगर पहल ब्रोकेड वीविंग के माध्यम से मुगल काल के बादशाहों की कहानी इन पर उकेरा करते थे। हालांकि, बाद में ये सब विष्णुपुर आकर बस गए और तभी से इन साड़ियों पर यहां स्थापित पौराणिक मंदिरों की दीवारों और खंबों पर अंकित कहानियों का वाचन शुरू हुआ। अब आपको बालूचरी साड़ी पर हिंदू धार्मिक कथाएं देखने को मिलेगी।

वेंकटगिरी साड़ी

आंध्र प्रदेश के वेंकटगिरी में 1700 साल पहले से इस साड़ी का निर्माण किया जा रहा है। कॉटन से बनी हुई इस साड़ी में जामदानी स्टाइल से बुनाई की जाती है। वेंकटगिरी श्री कृष्ण के अवतार माने जाने वाले श्रीनिवास और माता लक्ष्मी का अवतार कहीं जाने वाली पद्मावती की प्रेम कहानी के चलते प्रसिद्ध स्थल है।

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ऐसा कहा जाता है कि वेंकटगिरी साड़ियां देवता भी पहनते थे। पहले इसे केवल मंदिरों में देवी देवताओं को अर्पित करने और राज परिवारों के लिए ही बनाया जाता था। हालांकि, बदलते वक्त के साथ अब आम लोगों ने भी इसे पहनना शुरू कर दिया है।

कसावु साड़ी

केरल में इस साड़ी को बहुत ही खूबसूरत और पवित्र माना जाता है। मलयालम महिलाएं इसे अच्छे और बुरे दोनों अवसर पर विशेष तौर से धारण करती हैं। अस्थिर पर शादी विवाह के मौके पर महिलाएं इसे पहनती हैं।

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इसे कसावु मुंडू के नाम से पहचाना जाता है और ये दो कलर में बनी होती है। इसमें क्रीम कलर के कॉटन के कपड़े पर गोल्डन जरी बॉर्डर का वर्क किया जाता है, जो देखने और पहनने में बहुत खूबसूरत लगता है।

बावन बूटी साड़ी

बिहार के नालंदा में तैयार की जाने वाली यह साड़ी बहुत ही प्रसिद्ध है। इस खूबसूरत सी साड़ी का इतिहास भगवान गौतम बुद्ध से जुड़ा हुआ है। इसमें 52 बूटियां बनाई जाती है जिनका संबंध बौद्ध धर्म के 8 पवित्र चिन्हों से होता है।

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ये साड़ी कॉटन फैब्रिक से तैयार की जाती है। इस पर बनाई जाने वाली आकृति ब्रह्मांड की सुंदरता को बड़ी खूबसूरती से पेश करती है। फैब्रिक कॉटन होने के चलते ये पहनने में काफी ज्यादा कंफर्टेबल होती है और स्टाइलिश भी लगती है।

 

 

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ये भारत में मिलने वाली ऐसी पांच साड़ियां हैं जिन्हें पहनने के बाद महिलाओं की खूबसूरती में चार चांद तो लग ही जाएंगे लेकिन इनका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व इस सुंदरता को सातवें आसमान पर पहुंचा देगा। अगर आप भी साड़ी पहनने की शौकीन हैं और अलग-अलग वैरायटी कलेक्ट करना पसंद करती हैं, तो आपको अपने वॉर्डरोब में हिंदुओं की धार्मिक आस्था से जुड़ी इन साड़ियों को जरूर शामिल करना चाहिए।


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Diksha Bhanupriy

Diksha Bhanupriy

"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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