नगरीय निकाय चुनाव : पार्षदों को देना पड़ेगा खर्च का हिसाब, राज्य निर्वाचन आयोग ने तय की सीमा

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आगामी दिनों में मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय 2020 का चुनाव (MP Urban body election 2020) होना है। जिसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग (State election commission) ने तैयारी पूरी कर ली है, साथ ही एक नई घोषणाएं की है। जिसके अनुसार अब पार्षदों (Councilors) को भी अपने खर्च का पूरा ब्यौरा निर्वाचन आयोग को देना होगा। क्योंकि आगामी दिनों में पार्षदों की खर्च की सीमा तय (Councilors spend limit fixed) होने वाली है। जिससे चुनाव में बेहिसाब होने वाले खर्च पर लगाम लगेगी। इस संबंध की जानकारी राज्य निर्वाचन आयोग (MP State election commission) ने परिपत्र जारी कर बताया है।

राज्य निर्वाचन आयोग ने लिया अहम फैसला

अब मध्यप्रदेश में पहली बार पार्षदों को खर्च ब्यौरा देना पड़ेगा (Councilors will have to give expense details)। चुनावी उम्मीदवार (Election candidate) और राजनैतिक दल (Political party) ने राज्य निर्वाचन आयोग (State election commission) के इस फैसले की सराहना की है। वहीं इस दौरान इस फैसले के क्रियान्वयन को लेकर कई सवाल भी उठाए जा रहे है। जिसमें कई उम्मीदवारों ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग (State election commission) का यह फैसला सराहनीय अच्ची पहल है, लेकिन इस दौरान आयोग फैसले का क्रियान्वयन निष्पक्ष तौर पर करें तभी फायदेमंद रहेगा। क्योंकि अगर इस फैसले के जरिए सत्ताधारी दल (Ruling party) की मदद की जाएगी तो बाकी उम्मीदवारों के साथ अन्याय होगा।

पहली बार पार्षदों को देना होगा खर्च का ब्यौरा

बता दें कि नगर निगम के महापौर (Municipal mayor), नगर पालिका परिषद (Municipal Council) और नगर परिषद के चुनाव (City council elections) में अध्यक्षों की खर्च सीमा तय की गई है। खर्च की सीमा 2011 की जनसंख्या के आधार पर तय की गई है। जिसके बाद अब नगरीय निकाय चुनाव (MP Urban body election 2020) में खर्च सीमा तय करना पहली बार हो रहा है। जिसमें उम्मीदवारों को खर्च का हिसाब-किताब देना होगा।

जनसंख्या के आधार पर खर्च की सीमा तय

बता दें कि 10 लाख से ऊपर जनसंख्या वाली नगर निगम (municipal Corporation) के लिए 35 लाख रुपए खर्च की सीमा रखी गई है।

  • 10 लाख से कम जनसंख्या वाली नगर निगम के लिए 15 लाख रुपए की खर्च की सीमा तय की गई है।
  • वहीं नगर पालिका परिषद में एक लाख जनसंख्या के लिए 10 लाख रुपए की खर्च की सीमा तय की गई है।
  • नगर पालिका परिषद में 50 हजार से 1 लाख की जनसंख्या होने पर 6 लाख रुपए खर्च की सीमा रखी गई है।
  • नगर पालिका परिषद में 50 हजार से कम जनसंख्या के लिए 4 लाख की खर्च की सीमा तय की गई है।

खर्च सीमा- पार्षदों के लिए

  • नगर निगमों के पार्षद पद के उम्मीदवार की खर्च की सीमा 10 लाख से ज्यादा की जनसंख्या के लिए 8.75 लाख रुपए है।
  • 10 लाख से कम जनसंख्या वाले नगर निगम के पार्षद पद के उम्मीदवार के 3.75 लाख रुपए खर्च की सीमा तय है।
  • वहीं 1 लाख से ऊपर की जनसंख्या वाली नगर पालिका परिषद के पार्षद पद के उम्मीदवार के लिए 2.50 लाख रुपए की खर्च सीमा रखी गई है।
  • 50 हजार से एक लाख तक की जनसंख्या वाली नगर पालिका परिषद के पार्षद पद के उम्मीदवार के लिए 1.50 लाख खर्च की सीमा तय की गई है।
  • 50 हजार से कम जनसंख्या वाली नगर पालिका परिषद के पार्षद पद के उम्मीदवार के लिए खर्च की सीमा 1 लाख रुपए रखी गई है।
  • वहीं अगर नगर परिषद के पार्षद पद के उम्मीदवारों की बात की जाए तो इसके लिए खर्च की सीमा 75 हजार रुपए तय की गई है।

खर्च सीमा की मॉनिटरिंग करना मुश्किल

मध्यप्रदेश कांग्रेस के चुनाव आयोग प्रभारी जेपी धनोपिया (Congress Election Commission Incharge JP Dhanopia) ने बताया कि नगरीय निकाय के चुनाव में उम्मीदवारों का खर्च सीमा कितना होगा इसकी जानकारी राज्य निर्वाचन आयोग ने दी है। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान लोग फिजूलखर्च अधिक करते है, जिसे देखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने पहली बार पार्षद पद के चुनाव के लिए खर्च सीमा तय की है। लेकिन चुनाव में तय खर्च सीमा की मॉनिटरिंग करना मुश्किल हो सकता है।

पार्षद चुनाव के उम्मीदवार ने कही ये बातें

इस दौरान पार्षद चुनाव के लिए उम्मीदवार राहुल ने कहा कि वे कई भी नरेला विधानसभा के वार्ड क्रमांक 58 से दावेदारी कर रहे है, जिसके लिए वे कई सालों से प्रयासरत है। इस दौरान उन्होंने राज्य निर्वाचन आयोग के फैसले का स्वागत किया है। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि ‘जिस प्रकार प्रदेश में सत्ताधारी दल की धांधली और धोखाधड़ी सामने आती है, उससे यह देखना होगा कि यह कितनी निष्पक्ष होगा।’ उन्होंने कहा कि ‘ऐसी परिस्थिति में राज्य निर्वाचन आयोग कितना सत्ताधारी दल पर लगाम लगा पाती है, यह देखने योग्य होगा।’


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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