कोरोना पर भारी अंधविश्वास, बिना मास्क और डिस्टेंसिंग के सैंकड़ों की तादाद में लोग मंदिर पहुंचे

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निवाड़ी, डेस्क रिपोर्ट। देश में एक तरफ जहां कोरोना (Corona) अपना कहर बरपा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ लोगों में अंधविश्वास भी कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इस जानलेवा वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच भी लोग अंधविश्वास को छोड़ने का नाम नहीं ले रहे हैं ताजा मामला निवाड़ी (Niwari) से सामने आया है जहां पर लोग कोरोना को देवी का प्रकोप मानकर सैकड़ों की संख्या में अछरूमाता मंदिर (Achhru Mata Mandir ) पहुंचे। जहां पर सरेआम कोरोना नियमों की धज्जियां उड़ाई गई।

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इस समय शासन प्रशासन कोरोना संक्रमण से निपटने के लिये अपने स्तर से लगातार प्रयास कर रहा है, इसके लिये कही कोरोना कर्फ्यू लगाकर, वैक्सीन लगाकर, मास्क लगवाकर तो कहीं सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर चलने की बात कर रहा है। जिससे की लोगों को इस महामारी से बचाया जा सके। पर बुन्देलखण्ड के पिछले जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग महामारी को देवी प्रकोप मानकर विज्ञान के इस युग में अंधविश्वास को बढ़ावा देते नजर आ रहे है, जी हां हम बात कर रहे निवाड़ी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों की जहां आज सैकडों की संख्या में महिला, पुरूष और बच्चे टोलियों के रूप में हाथों में जल से भरे लोटा लेकर पास के ही प्रसिद्ध देवी क्षेत्र अछरूमाता मंदिर पहुंचे, लेकिन कोरोना गाइडलाइन (Corona Guideline) के चलते मंदिर के बंद होने के कारण मंदिर के बाहर ही मुख्य द्वारा जल चढाकर कोरोना महामारी से बचने की प्रार्थना कर इस महामारी को हमेशा के लिये समाप्त करने की देवी माँ से अर्जी की।

डिस्टेंसिंग एवं मास्क लगाना भूले लोग
लेकिन अंध विश्वास की इस कड़ी में लोग फिजिकल डिस्टेंसिंग एवं मास्क लगाना भी भूलकर भीड़ की शक्ल में मंदिर तो पहुंच गये, पर ये भूल गये कि कही ये अंध विश्वास उनकी जान पर भारी न पड़ जाये, इस बीच प्रशासन के लोगों रास्ते में और मंदिर के बाहर धर्मान्ध इस भीड़ को रोकने के भरसक प्रयास किया लेकिन लोगों ने एक नहीं सुनी। अगर ऐसे में इन सभी ग्रामीणों के बीच में से अगर किसी एक में भी कोरोना के लक्षण पाए जाते हैं तो यहां कोरना का ब्लास्ट होने में देर नहीं लगेगी। वहीं प्रशासन के अधिकारी लगातार लोगों को समझाते रहे और वापस अपने घर जाने के लिए उनके आगे हाथ पैर जोड़ते रहे पर इन ग्रामीणों के आंखों पर बंधी अंधविश्वास की पट्टी ने अधिकारियों की एक ना सुनी। आज भी बुन्देलखण्ड के इन पिछड़े इलाकों में आस्था व धर्म विज्ञान पर भारी है।


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Harpreet Kaur

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