नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। अपने काम के साथ-साथ अपने ट्वीट्स के कारण सुर्खियों में रहने वाले एलन मस्क, के और ट्वीट से सोशल मीडिया पर नई बहस शुरू हो गयी है। टेस्ला के मालिक ने ताजमहल को लेकर 9 मई को एक ट्वीट को अपने हैंडल से रीट्वीट कर लिखा,” यह आश्चर्यजनक है, मैंने 2007 में दौरा किया और ताजमहल भी देखा था, जो वास्तव में दुनिया का एक अजूबा है।”
एलन मस्क ने यह ट्वीट ‘हिस्ट्री डिफाइंड (History defined)’ नामक अकाउंट के एक फोटो के रिप्लाई में किया था, जिसे आगरा के लाल किले का बताया जा रहा है। इसके बाद एलन मस्क के ट्वीट पर कमेंट की बाढ़ आ गई, जहां लोग उन्हें देश के मंदिरों की खूबसूरती के बारे में बताने लगे।
लोगों ने उन्हें अगली बार भारत आने पर कोणार्क और अक्षरधाम मंदिर घूमने की सलाह दी।
कमेंट में एडवोकेट रवि करेरा ने उन्हें प्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर के इतिहास के बारे बताया।
Here’e magnificent heritage building in 🇮🇳
Built around 1026 by the Chalukyan King Bhima-I the Modhera Sun Temple predates the more famous Konark Sun temple by almost 125 years
That did not result in degrading treatment of artisans that built it.
Yes come to India @elonmusk pic.twitter.com/nSEg0JiLwc
— Ravi Karkara (@ravikarkara) May 9, 2022
वहीं एक यूजर ने उनसे कहा, “अंकल ताजमहल ओवररेटेड है, अगली बार अक्षरधाम मंदिर आना।”
Uncle taj mahal is overrated visit Akshardham temple next time pic.twitter.com/FLrawgFAlr
— jolly (@stfu_jolly) May 9, 2022
आपको बता दे, दुनिया के सबसे अमीर आदमी मस्क ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘ट्विटर’ को 44 बिलियन डॉलर यानि कि लगभग 3368 अरब रुपये में खरीदा था।
देश में ताजमहल को लेकर सियासत गर्म
दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल के इतिहास पर विवाद है। ताजमहल में शिव मंदिर का मामला फिर से गर्म हो गया है। इसके लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में एक अर्जी भी दायर की गई है, जिसमें ताजमहल के 22 बंद कमरों को खोलने की मांग की गई है। ताजमहल में मंदिर होने के दावे को हवा अयोध्या के बीजेपी नेता डॉ.रजनीश सिंह ने दी है।
याचिका में कहा गया, “कई इतिहास की किताबों में यह है कि 1212 ईस्वी में, राजा परमर्दी देव ने तेजो महालय मंदिर महल का निर्माण किया था। मंदिर बाद में जयपुर के तत्कालीन महाराजा राजा मान सिंह को विरासत में मिला था। उनके बाद संपत्ति राजा जय सिंह द्वारा आयोजित और प्रबंधित किया गया था, लेकिन शाहजहां ने 1632 में इस पर कब्जा कर लिया गया था और बाद में इसे शाहजहां की पत्नी के स्मारक में बदल दिया गया था।”