भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। देश के द्वितीय राष्ट्रपति और भारत रत्न सर्वपल्ली राधाकृष्णन(Bharat Ratna Sarvepalli Radhakrishnan) के जन्मदिवस पर देशभर में शिक्षक दिवस(Teachers Day) मनाया जाता है। समाज को शिक्षित करने में महत्वपूर्ण सीढ़ी बने शिक्षकों को यह दिन समर्पित है। इसी को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान(CM Shivraj Singh Chauhan) ने आज शिक्षक दिवस के मौके पर सभी शिक्षकों को बधाई दी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संदेश में कहा है कि समाज को गढ़कर नई पीढ़ी के निर्माण का दारोमदार शिक्षकों पर ही है।
दरअसल शिक्षक दिवस के मौके पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि समाज को एक उत्कृष्ट दिशा देने का कार्य शिक्षक के हाथ ही परिपूर्ण होता है। वही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह भी कहा कि प्राचीन शिक्षा व्यवस्था में शिक्षक को गुरु कहा गया जिसका अर्थ है ईश्वर तुल्य भूमिका का निर्वहन करना। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि कोरोना काल में शिक्षकों ने वर्ष और कक्षाओं के माध्यम से जिस तरह विद्यार्थियों को शिक्षित, प्रशिक्षित करने का कार्य किया है वह उत्कृष्ट है।
शिक्षण कार्य इस सृष्टि में पावन कार्य
उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षण कार्य इस सृष्टि में पावन कार्य में से एक है। इस अवधि में शिक्षकों ने जो भूमिका निभाई वह सराहनीय है। वही सीएम शिवराज ने विद्यार्थियों से अपील की है कि शिक्षा में शिक्षक समाज को यथोचित सम्मान देकर उनके बताए मार्ग पर चलकर हम जीवन में आगे बढ़े और राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आवाहन करें। डॉ. राधाकृष्णन जी के प्रखर विचारों के प्रकाश से आलोकित मार्ग पर बढ़ते हुए हम सब देश की प्रगति व उन्नति के लिए अविराम कार्य करते रहेंगे। आइये, हम सब उनकी जयंती पर संकल्प लें कि उनके सपनों के शिक्षित, समर्थ, अलौकिक भारत के निर्माण के स्वप्न को साकार करेंगे।
ज्ञान हमें शक्ति देता है- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
बता दें कि सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरूतनी ग्राम में हुआ था। राधाकृष्ण सर्वपल्ली भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति रहें उसके बाद वे राष्ट्रपति भी बने। इन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंस कॉलेज से शिक्षा देना आरंभ किया उसके बाद मैसूर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे। उन्होंने देश के कई विश्वविद्यालयों में भी शिक्षा दी। ये BHU के कुलपति भी रहे। इन्हें 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इनके शिष्यों ने इनका जन्मदिन मनाने के लिए इनसे अनुमति मांगी। तब इन्होंने कहा कि अगर मेरे जन्म दिन को ऐसे न मनाकर शिक्षकों के योगदान और सम्मान दिवस के रुप में मनाया जाए तो मुझे ज्यादा अच्छा लगेगा।