भोपाल, डेस्क रिपोर्ट
मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार(Kamal Nath government in Madhya Pradesh) को सत्ता से हटाने का श्रेय कांग्रेस(congress) सिंधिया(scindia) को देती है। सिंधिया के कांग्रेस छोड़ बीजेपी(BJP) में शामिल होते ही प्रदेश की राजनीति में बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिला था। जहां सिंधिया के कांग्रेस से जाते हैं कांग्रेस के 22 विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद से आजतक प्रदेश कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया(Jyotiraditya Scindia) और भाजपा सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। मध्य प्रदेश कांग्रेस लगातार बीजेपी और सिंधिया पर निशाना बनाए हुए हैं। यहां एक बार फिर प्रदेश की सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से दो बड़े मुद्दे पर सवाल पूछे हैं।
दरअसल मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रवक्ता और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी(jitu patwari) ने राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया से सवाल पूछे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया से सवाल करते हुए पूर्व मंत्री पटवारी ने कहा कि जब सिंधिया कांग्रेस में थे तो उन्होंने दो मुद्दों पर सड़क पर उतरने का ऐलान किया था। वह किसान कर्ज माफी और अतिथि विद्वान की नियमितीकरण पर कमलनाथ सरकार को लगातार घेरते आ रहे थे। अब भाजपा में शामिल होते ही अचानक से इन दोनों मुद्दों पर उनकी चुप्पी क्यों है। आखिर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद भी इन दोनों मुद्दों पर अब तक कोई निर्णय क्यों नहीं लिया गया है। वहीं कांग्रेस ने यदि कहा कि सिंधिया अपना हित साधकर राज्यसभा सांसद बनने के लिए भाजपा में शामिल हुए थे। कांग्रेस के बागी नेताओं पर भी बोलते हुए पटवारी ने कहा की जनता की भावना की हत्या कर उन्होंने अपने समर्थक नेताओं को मंत्री बना दिया। और अब ट्विटर(twitter) के माध्यम से सरकार चला रहे हैं। कांग्रेस ने सिंधिया पर तंज कसते हुए यह भी कहा है कि सिंधिया एक लापरवाह जनप्रतिनिधि हैं और उप चुनाव(by-election) में जनता जल्द ही इसका जवाब देगी।
बता दे कि 22 महीने में प्रदेश की सियासत में हलचल में चाहते हुए सिंधिया समिति कांग्रेस के 22 विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन कर लिया था। जिसके बाद प्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिर गई थी। वहीं कांग्रेस में रहते हुए सिंधिया ने लगातार अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण और किसान कर्ज माफी पर अपनी आवाज तेज की थी। बीजेपी में शामिल होने के बाद इन दोनों मुद्दों पर सिंधिया की चुप्पी अब कांग्रेस के लिए एक मौका बन गई है। उपचुनाव में जिसे कांग्रेस अपने हित में भुनाने की पूरी तैयारी में है।