प्रदेश में इन दिनों 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है।भाजपा-कांग्रेस के लिए सत्ता की सीढ़ी तक पहुचने के लिए यह सीटे बहुत महत्वपूर्ण है!दोनों पार्टी के दिग्गज इन सीटों को लेकर रणनीति बनाने में लगे हुए है।ऐसे में हाटपिपल्या विधानसभा क्षेत्र में अपना प्रभाव रखने वाले पूर्व मंत्री व इस क्षेत्र से विधायक रहे दीपक जोशी के बयान इन दिनों काफी सुर्खियों में है।
जोशी ने पिछले दिनों अपना विकल्प तलाशने को लेकर दिए गए बयान के बाद से ही पार्टी हाईकमान ने जोशी को भोपाल तलब किया।बावजूद जोशी के तैवर कम नही हुए तो भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय खुद जोशी के देवास स्थित निवास पर पहुँचे थे।परन्तु कल फिर जोशी ने एक सियासी बयान देकर राजनीतिक गलियारों में तहलका मचा दिया है।दरअसल दीपक जोशी का कहना है कि उन्हें पार्टी के ही एक धड़े ने षड्यंत्रपूर्वक हराया है।
इन लोगो ने लगातार पार्टी विरुद्ध गतिविधिया करि बावजूद ऐसे लोगो को प्रोत्साहित किया गया।ऐसे लोगो को ही विधानसभा-लोकसभा का संयोजक बनाया गया।ऐसे में मेरे कार्यकर्ताओं के मन मे पीड़ा थी इसलिए मेने पार्टी फोरम में अपनी बात रखी है।पार्टी में इसका समाधान होना चाहिए नही तो मुझे भी इस प्रकार की राह अपनाना होंगी।
जनसंघ को नजदीक से देखा है
मेने जनसंघ से लेकर भाजपा तक को नजदीक से देखा है।मेरी पार्टी और संगठन में मेरी पूरी निष्ठा रही है।मे ऐसे पिता की सन्तान हु जिसने भाजपा को सिंचित किया है।मेरे पिता की तुलना शास्त्री जी से होती है।ऐसी विरासत बहुत कम लोगो को मिलती है।
3 बार विधायक रहे है जोशी
जोशी का राजनीतिक पदार्पण अपने पिता पूर्व सीएम कैलाश जोशी की पारम्परिक सीट बागली से सन 2003 से हुआ।जोशी 2003 से 2008 तक बागली विधानसभा से विधायक रहे।2008 में यह सीट आदिवासी आरक्षीत होने के बाद जोशी को यह सीट बदलनी पड़ी और वे पिता के प्रभाव के चलते हाटपिपल्या से टिकट लाने में सफल हुए और लगातार 2008 से 2018 तक 2 बार विधायक और मंत्री रहे।परन्तु 2018 के विधानसभा चुनावों में जोशी को कांग्रेस के मनोज चौधरी ने शिकस्त दी।परन्तु चुनाव जीतने के 1 वर्ष बाद ही मनोज चौधरी ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में उतरे और अपनी सीट से इस्तीफ़ा देकर भाजपा में शामिल हो गए।अब पुनः इस सीट पर चुनाव होना है,ऐसे में जोशी के इस बयान का राजनीतिक दृष्टिकोण से विभिन्न मायने निकाले जा रहे है!