भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश(Madhyapradesh) में 21 सितंबर से विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र(Three day assembly session) शुरू होने जा रहा है। जिसको लेकर सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी है। इसी बीच मध्यप्रदेश में नेताओं के संक्रमित होने का सिलसिला भी जारी है। जिसको देखते हुए विधानसभा ने सभी कलेक्टरों(Collectors) को चिट्ठी लिखकर सत्र के 5 दिन पूर्व ही विधायकों की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट(Corona test report) विधानसभा में भेजने की बात कही है।
दरअसल पिछले दिनों कांग्रेस के पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा(Sajjan singh verma) की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी। इसके साथ ही साथ भोपाल के पूर्व सांसद आलोक संजर(Aalok sanjar), बैतूल विधायक ब्रह्मा भलावी(Brahma Bhalavi) और वन मंत्री विजय शाह(Forest Minister Vijay Shah) भी कोरोना संक्रमित हो गए हैं। इसके साथ ही अब सदन के करीबन 18% लोग संक्रमित हो चुके हैं। ऐसी स्थिति को देखते हुए विधानसभा अपने अधिकारी एवं कर्मचारियों की भी कोरोना जांच कराएगा।
इधर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा(Former assembly speaker sitasharan sharma) का कहना है कि विधानसभा सत्र बुलाना संवैधानिक बाध्यता है। जिसको पूरा करना जरूरी है हालांकि क्षेत्र को छोटा किया जा सकता है। संक्रमण का खतरा अगर तेज होता है तो मुमकिन है कि तीन दिवसीय विधानसभा सत्र को 1 दिन का कर दिया जाए। वहीं विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा(Speaker of the Assembly Rameshwar Sharma) का कहना है कि यह बात सही है कि विधायक पॉजिटिव आ रहे हैं। बड़ी संख्या में विधायकों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ रही है। जिसको देखते हुए विभिन्न पहलुओं पर चर्चा के बाद ही कोई निर्णय लिया जा सकता है।
यह भी माना जा रहा है कि अभी हाल में ही संक्रमित हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति(N.P. Prajapati), पूर्व मंत्री तरुण भनोट(Tarun Bhanot) समेत कुछ विधायक विधानसभा सत्र की कार्यवाही से दूर रह सकते हैं। अब ऐसी स्थिति में जब लगातार विधायकों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। 1 सितंबर से शुरू होने वाले सत्र की कार्यवाही किस तरह पूरी होती है। यह एक बड़ी विडंबना बनी हुई है।