MP उपचुनाव : शिवराज सरकार के यह दो मंत्री दे सकते है इस्तीफा , भोपाल पहुंची राज्यपाल

Pooja Khodani
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शिवरज सरकार

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश उपचुनाव से पहले बड़ी खबर मिल रही है। नियमों के तहत शिवराज सरकार (Shivraj Government) में राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ( Govind Singh Rajput) और जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट (Tulsi Silavat) मंगलवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं, क्योंकि दोनों का  6 महीने का कार्यकाल मंगलवार को पूरा हो रहा है। इधर, कांग्रेस ने भी राज्यपाल से शिवराज कैबिनेट भंग करने की अपील की है।

उपचुनाव (By-election) में राजपूत सुरखी विधानसभा क्षेत्र (Surkhi Assembly) से और सिलावट सांवेर सीट (Sanver Assembly) से भाजपा प्रत्याशी (BJP Candidate) है। इस बीच राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Governor Anandi Ben Patel) सोमवार को लखनऊ से भोपाल (Lucknow To Bhopal) पहुंच गई। वे पांच दिवसीय प्रवास पर भोपाल आई है। उनके भोपाल आगमन से दोनों मंत्रियों द्वारा पद से इस्तीफा देने की अटकलें और तेज हो गई है।वही इस खबर से सियासी गलियारों में भी हलचल तेज हो चली है।

दरअसल मार्च में ज्योतिराज सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हुए थे और कमलनाथ की सरकार (Kamal Nath) गिर गई थी। सीएम शिवराज (CM Shivraj) ने 23 मार्च को चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। वही 21 अप्रैल को मंत्री पद की शपथ लेने वाले पांच मंत्रियों में से डॉक्.नरोत्तम मिश्रा, कमल पटेल ,मीना सिंह विधानसभा से निर्वाचित सदस्य है, लेकिन गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट निर्वाचित सदस्य नहीं है। क्योंकि कांग्रेस छोड़ने के बाद इन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। वही कोविड-19 के कारण उपचुनाव 6 महीने के भीतर नहीं कराए जा सके और राजपूत व सिलावट को मंत्री बने मंगलवार को 6 महीने पूरे हो रहे हैं। इसलिए उनके समक्ष संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है।

कांग्रेस ने की शिवराज कैबिनेट भंग करने की मांग

पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा(sajjan singh verma) ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल(Anandiben Patel) से शिवराज सरकार के दो मंत्रियों के कार्यकाल को खत्म करने और कैबिनेट को भंग करने की मांग की है।सज्जन सिंह वर्मा ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से अपील की है कि शिवराज कैबिनेट के मंत्री तुलसी सिलावट(tulsi silawat) और गोविंद सिंह राजपूत(govind singh rajput) के कार्यकाल खत्म हो और इसके साथ ही पूरे शिवराज कैबिनेट (shivraj cabinet) को भंग किया जाए। सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि शिवराज सरकार ने पूर्व विधायकों को बिना विधायकी के मंत्री बनाया है, जो कि गलत है। अगर उनके कार्यकाल खत्म होकर कैबिनेट को भंग किया जाता है तो होने वाले उपचुनाव भाजपा वैसे ही हार जाएगी।

क्या कहता है नियम

नियम अनुसार बिना सदस्य निर्वाचित हुए 6 महीने से ज्यादा मंत्री पद पर नहीं रह सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट के पद छोड़ने की स्थिति में राजस्व विभाग का प्रभार कृषि मंत्री कमल पटेल (Agriculture Minister Kamal Patel) या सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया (Cooperative Minister Arvind Bhadoria) को दिया जा सकता है। जल संसाधन विभाग डॉ नरोत्तम मिश्रा (Dr. Narottam Mishra) और परिवहन का अतिरिक्त प्रभार नगरी विकास व आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह (Bhupendra Singh) को दिया जा सकता है।

 जानकारों की राय

जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है कि कोई व्यक्ति लोकसभा और विधानसभा का चुनाव (Lok Sabha and Vidhan Sabha elections) जीते बिना मंत्री बन जाता है तो वह छह माह तक ही पद रह सकता है। उसे इन छह माह में चुनाव जीतकर सदन का सदस्य बनना जरूरी है। यदि उसे सदन का सदस्य बने बिना दोबारा मंत्री बनाना है तो पहले इस्तीफा देना होगा । लेकिन मुसीबत यह है कि गोविंद राजपूत और तुलसी सिलावट को अगर दोबारा मंत्री की शपथ दिलाई जाएगी तो यह आचार संहिता का उल्लंघन होगा क्योंकि यह लोग उस समय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे होंगे और इसलिए अब यह तय है कि इन दोनों को इस्तीफा देना ही होगा और अगर मंत्री दोबारा बनते हैं तो उसके लिए विधायक का चुनाव जीतना जरूरी भी होगा।

शिवराज मंत्रिमंडल में भी संख्या ज्यादा

वही दूसरी तरफ मंत्रिमंडल में भी निर्धारित संख्या से ज्यादा मंत्री बनाए गए हैं। वर्तमान में शिवराज मंत्रिमंडल (Shivraj cabinet) में मुख्यमंत्री समेत कुल सदस्यों की संख्या 34 है, जो कि नियम के विरुद्ध है, क्योंकि राज्य में विधानसभा की सदस्य संख्या 230 है, उसके अनुसार प्रदेश में अधिकतम 35 मंत्री हो सकते हैं, लेकिन 3 विधायकों की मृत्यु और 25 सिंधिया समर्थक विधायकों के इस्तीफे के कारण इस वक्त विधानसभा की सदस्य संख्या 202 है, ऐसे में मंत्रियों की संख्या पर भी सवाल खड़े होना लाजमी है, हालांकि कांग्रेस इस पर पहले ही आपत्ति जता चुकी है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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