भोपाल, डेस्क रिपोर्ट
शनिवार देर शाम पूर्व सपा नेता और राज्यसभा सांसद अमर सिंह (Former SP leader and Rajya Sabha MP Amar Singh) के निधन की खबर सामने आई थी।राजनीति में एक सटीक व्यक्तित्व के लिए जाने जाने वाले अमर सिंह के निधन की खबर से राजनीति गलियारे में मायूसी का माहौल छा गया है। सभी नेता अपनी अपनी तरफ से राज्यसभा सांसद अमर सिंह को श्रद्धांजलि भेंट कर रहे हैं हैं। इसी बीच मध्य प्रदेश के बीजेपी नेता ने अमर सिंह के जीवन के अनछुए पहलू को बता कर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। अपनी दोस्ती एवं रिश्ते को निभाने कि कला जानने वाले अमर सिंह के मूल मंत्र को साझा करते हुए बीजेपी नेता (BJP Leader) ने बताया कि अमर सिंह कहा करते थे कि राजनीति में कोई किसी का दोस्त नहीं और ना ही कोई किसी का दुश्मन होता है।
बीजेपी नेता ने तब के वक्त को सांझा करते हुए लिखा है कि बड़े महाराज श्रीमंत माधव सिंधिया जी (Maharaj Shrimant Madhav Scindia ) के साथ सक्रिय राजनैतिक जीवन की शुरुआत की थी। मेरा जुडाव बड़े महाराज की वजह से अमर सिंह जी से 1989 में मुरैना लोकसभा चुनाव (Morena Lok Sabha Elections) में हुआ था। अमर सिंह जी बेबाक-अंदाज के लिए पहचाने जाते थे। मैंने उसके साथ रह कर देखा था वो हर व्यक्ति की मदद करते थे। एक बार की घटना को याद करते हुए मनोज पाल सिंह ने बताया है कि जब बड़े महाराज साहब के विकास कांग्रेस से चुनाव जीतने के बाद उन्होंने ने बड़े महाराज साहब से उत्तर प्रदेश से राजनीति करने की मंशा जाहिर की थी। उसके बाद वो समाजवादी पार्टी (samajwadi party) से जुड़ें ओर राजनीति के हर मुकाम को छुआ उनका असमय जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है।
मुलायम सिंह और अमर सिंह थे दो जिस्म एक जान
मुरैना जिला पंचायत के अध्यक्ष रहे मनोज पाल सिंह (Manoj Pal Singh) कहते हैं कि मैनें मुलायम सिंह जी ओर उनकी दोस्ती को भी बहुत नजदीक से देखा था वास्तव में दो जिस्म एक जान थे। मुलायम सिंह यादव ने एक बार कहा था कि हम ‘दो जिस्म एक जान’ हैं। दूसरा जिस्म यानी अमर सिंह। एक वक्त था जब अमर सिंह मुलायम के बाद सबसे ताकतवर आदमी थे। पार्टी और सरकार में उनकी तूती बोलती थी। गुलजार साहब का वो गाना उन पर बिल्कुल ठीक बैठता था कि ‘जहां तेरे कदमों के कंवल खिला करते थे… हंसी तेरी सुन-सुन के फसल पका करती थी.’ वाकई उस वक्त समाजवाद की फसलें उनकी हंसी सुन-सुन के ही पकती थीं।
देसी समाजवादियों के बीच ग्लैमर लेकर आए अमर सिंह
बीजेपी नेता मनोज पाल सिह कहते हैं कि अमर सिंह मुलायम के लिए सियासी से लेकर घरेलू काम तक करते थे। अखिलेश यादव को एडमिशन कराने ऑस्ट्रेलिया लेकर जाने वाले अमर सिंह ही थे। उनकी शादी का दिल्ली और लखनऊ में रिसेप्शन भी उन्होंने ही कराया था। अखिलेश के रिसेप्शन में अमिताभ बच्चन ‘दीवार’ फिल्म के डायलॉग सुनाकर लोगों का मनोरंजन कर रहे थे। कहते हैं कि वो भी अमर सिंह के बुलावे पर ही आए थे। यही नहीं अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्य राय का विवाह भी अमर सिंह के चलते ही सम्भव हो पाया था। अमर सिंह, मुलायम सिंह के लिए बहुत तरह के काम करते रहे। देसी समाजवादियों के बीच वो ग्लैमर लेकर आए। समाजवादी पार्टी और पार्टी के कार्यक्रमों में बॉलीवुड सितारों को लेकर आने वाले वही थे। बॉलीवुड का कोई ऐसा बड़ा स्टार नहीं होगा जिसे वो मुलायम के गांव में होने वाले सैफई उत्सव में ना ले गए हों। एक वक्त था जब वो अमिताभ बच्चन के साथ साये की तरह रहते थे। अमिताभ बच्चन से उन्होंने मुलायम सरकार के विज्ञापन करवाए जिसमें एक विज्ञापन बहुत मशहूर हुआ कि ‘यूपी में है दम क्योंकि अपराध है यहां कम।’
बचाई थी मनमोहन सिंह की डूब रही UPA1 की सरकार
बीजेपी नेता मनोज पाल सिह ने कहा कि यही नहीं, अमर सिंह कॉरपोरेट घरानों और मुलायम सिंह के बीच पुल का काम करते थे। राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी पार्टी के किबड़े सी भी बड़े नेता से मुलायम के लिए वही डील करते थे। वो इतना कुछ मुलायम के लिए करते थे कि मुलायम को लगता था कि अमर सिंह की हस्ती उनसे ज्यादा बड़ी है। एक बार कुछ न्यूज चैनल के पत्रकारों से नाराज मुलायम ने कहा था कि, ‘तुम लोग क्या समझते हो… मैं अभी दिल्ली जा रहा हूं।अगर अमर सिंह कह देंगे तो एक दर्जन टीवी वाले मुझसे बात करने एयरपोर्ट पहुंच जाएंगे।’ यह अमर सिंह की प्रबंधन कला ही थी कि जो उन्होंने मनमोहन सिंह की डूब रही UPA1 सरकार बचा ली। संकटमोचन अमर सिंह एक साथ कांग्रेस को संकट से उबारते रहे। वही अम्बानी बंधुओं के बीच छिडी जंग में पंच की भूमिका में प्रधान मंत्री को लाने का कौशल भी उन्होंने ही दिखाया। बड़े से बड़ा आईएएस हो या कोई भी बड़ा बिजनस प्रमुख सब अमर सिंह के यंहा हाजिरी बजाते थे। अमर सिंह की हैसियत को कई लोग कोसते थे लेकिन उन्हें सियासत में इस एथिक्स को समझाना चाहिये कि राजनीती में कोई किसी का दोस्त और किसीका दुश्मन नही होता। यही अमर सिंह का मूल मंत्र था। यानि सत्ता के खेल में पूंजी की भूमिका को नजरंदाज नही किया जा सकता।
सत्ता के खेल में कारपोरेट को बनाया एक संस्था
ऐसा नही है कि सत्ता के खेल में कारपोरेट कि भूमिका पहले नही रही है लेकिन अमर सिंह ने इसे एक संस्था का रूप दिया है। लोकतंत्र में अमर सिंह के बारे में यह यह पूछा जा सकता है कि जिसने आज तक कोई चुनाव नहीं लड़ा वो आम लोगों के नेतृत्व कि बात कैसे कर सकता है। लेकिन आज कोई भी पार्टी इन पी आर लीडर के बगैर चल नहीं सकती। बी जे पी के अरुण जेटली कभी चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन सरकार मध्य प्रदेश में आए या गुजरात में आए या कर्नाटका मे श्रेय अरुण जेटली को दिया जाता रहा। राजीव शुक्ला साप्ताहिक स्तम्भ लिखकर या टीवी चैनल चला कांग्रेस के जनाधार बढ़ाने का दावा करते थे। ठीक इसी तर्ज पर प्रेमचंद गुप्ता लालू प्रसाद यादव को कारपोरेट संस्कृति में ढालते रहे। लेकिन इन सबके ऊपर अमर सिंह ही रहे। अम्बानी से लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक को जिसने उपकृत किया हो , वो निश्चित रूप से इस देश का सबसे बड़ा पी आर लीडर कहा जाना चाहिए। अमर सिंह निश्चित रूप से इस देश के सबसे विवादास्पद और सबसे बड़े पी आर राजनीतिज्ञ रहे।
बता दें कि उन्ही समाजवादी पार्टी (एसपी) के पूर्व नेता अमर सिंह का 64 साल की उम्र में निधन हो गया है। किडनी की बीमारी के चलते सिंगापुर के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। इसी साल फरवरी में उन्होंने अमिताभ बच्चन से माफी भी मांगी थी। उस वक्त वे अस्पताल में ही थे। अमर सिंह जी की पुनीत आत्मा को शत शत नमन। विनम्र श्रद्धांजलि। गौरतलब है कि मुरैना जिला पंचायत के अध्यक्ष रहे मनोज पाल सिह एक समय अमरसिह के बेहद करीबी थे।अमरसिह ने मुलायम सिह से कहकर मनोज को मध्यप्रदेश की युवा समाजवादी पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष बनवाया था।जिसके बाद अमरसिह ने मनोज पाल को स्व.माधवराव सिन्धिया के साथ जोङा और स्व.सिन्धिया से कहा था कि इस युवा मे अपार संभावनाएं है। अब मनोज पाल ने अमर सिंह को श्रद्दांजलि दी है।