VIDEO: नहीं मिली उमा भारती को अभिषेक की अनुमति, ताला खुलने तक अन्न त्यागा, मौके पर भारी पुलिस बल

Pooja Khodani
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रायसेन, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती रायसेन किले में पहुंच गई है, लेकिन उन्हे किले में स्थित शिव के जलाभिषेक की अनुमति नहीं मिली है, हालंकि उन्होंने बाहर से ही भगवान शिव का अभिषेक किया। वही समर्थकों को भी बाहर ही रोक दिया गया है और मीडिया को भी किले में जाने की अनुमति नहीं दी गई है।हालातों को देखते हुए कलेक्टर, एसपी, डीआईजी सहित बड़ी संख्या में अधिकारी मौके पर मौजूद है, पूरे किले को छावनी में बदल दिया गया है।

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अनुमति ना मिलने पर नाराज पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने अन्न त्यागने का बड़ा ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि जब हम मंदिर का ताला खुलवाना चाहते हैं, तोड़ना नहीं। ये ताला तो बहुत छोटा है, मेरे घूंसे से भी टूट जाएगा। जब तक ताला नहीं खुलेगा, अन्न त्याग कर रही हूं।इधर, गर्भगृह का ताला खुलवाने को लेकर प्रशासन की सांसें फूल हुई हैं।हालांकि रायसेन कलेक्टर अरविंद कुमार दुबे ने उमा भारती को पत्र लिखकर वस्तु स्थिति से पहले ही अवगत करा दिया था कि रायसेन का किला एवं उसमें स्थित शिव मंदिर केन्द्रीय पुरातत्व विभाग भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है।

मंदिर का गर्भगृह केन्द्रीय पुरातत्व विभाग द्वारा सिर्फ महाशिवरात्रि पर खोला जाता है और शेष दिनों में यह बंद रहता है। जिला प्रशासन एवं राज्य शासन द्वारा शिव मंदिर के गर्भगृह को खोलने का निर्णय नहीं लिया जा सकता है।इधर जिला प्रशासन ने उमा भारती के 11 अप्रैल के प्रवास के लिए केन्द्रीय पुरातत्व विभाग को अवगत कराया है। यदि अनुमति दे देता है तो जिला प्रशासन तत्काल उमा भारती को अवगत कराएगा, अन्यथा ताला नहीं खोला जाएगा।

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दरअसल, हाल ही में उमा भारती ने ट्वीट कर लिखा था कि यह मान्यता है कि नवरात्रि के तुरंत बाद के पहले सोमवार को शिव जी का अभिषेक करना चाहिए। मैंने अपने कार्यालय से कल कहा था कि रायसेन जिला प्रशासन को 11 अप्रैल, सोमवार को मेरे वहां जल चढ़ाने की सूचना दें। जब मैं 11 अप्रैल, सोमवार को उस सिद्ध शिवलिंग पर गंगोत्री से लाया हुआ गंगाजल चढ़ाऊंगी तब। राजा पूरणमल, उनकी पत्नी रत्नावली, उनके मार डाले गए दोनों मासूम बेटे एवं वहशी दुर्दशा की शिकार होकर मर गई अबोध कन्या एवं उन सब के साथ मारे गए राजा पूरणमल के सैनिक उन सबका मैं तर्पण करूंगी एवं अपनी अज्ञानता के लिए क्षमा मांगूंगी।

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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