एकादशी एक ऐसी तिथि है, जिसका हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व माना गया है। वैसे तो कई सारे व्रत और उपवास होते हैं लेकिन इसे सबसे खास माना गया है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसा कहां जाता है कि यह श्रेष्ठ फल देने वाला होता है।
अगर आप एकादशी व्रत की शुरुआत करने के बारे में सोच रहे हैं तो उत्पन्ना एकादशी इसके लिए सबसे श्रेष्ठ है। यह वही दिन है जब एकादशी देवी उत्पन्न हुई थी इसलिए इसे बहुत खास माना गया है। यह तिथि मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष में आती है। जो यह व्रत करता है उसके जीवन में सुख समृद्धि, धन, सकारात्मक और मानसिक शांति बनी रहती है। चलिए आज हम आपको पूजन विधि तिथि और मुहूर्त की जानकारी देते हैं।
उत्पन्ना एकादशी की तिथि और मुहूर्त
उत्पन्ना एकादशी की तिथि 15 नवंबर की रात 12:49 पर शुरू होगी। इसका समापन है 16 नवंबर को सुबह 2:37 पर होगा। अगर आप अपना व्रत खोलना चाहते हैं तो पारण 1:10 से 3:18 के बीच हो सकते हैं। इतना याद रखें की व्रत का पारण सूर्योदय के बाद होता है।
उत्पन्ना एकादशी का क्यों है महत्व
शास्त्रों की माने तो भगवान विष्णु ने देव मुरसुरा के अत्याचारों से देवताओं की रक्षा करने के लिए अपने शरीर से एक दिव्य शक्ति को उत्पन्न किया था। इसी शक्ति को देवी एकादशी कहा जाता है। उन्होंने असुरों का वध कर धर्म की रक्षा की थी। यही कारण है की एकादशी तिथि के दिन देवी का जन्मदिन मनाया जाता है। यहां से व्रत की शुरुआत को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। जो व्यक्ति पहली बार एकादशी व्रत करना चाहता है उसे उत्पन्ना तिथि से इसकी शुरुआत करनी चाहिए।
लगेगी ये सामग्री
एकादशी की पूजन में पुष्प, गंगाजल, चंदन, अक्षत, तुलसी दल, घी का दीपक, पंचामृत, मिष्ठान, फल, धूप, नारियल, सुपारी, शकरकंद, अमरुद, मूली, सीताफल, सिंघाड़ा, ऋतु फल, आंवला जैसी चीजें लगती है
कैसे करें व्रत
- सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- अब आपको अपने घर के मंदिर में घी का दीपक जलाना होगा और उसे स्थान को गंगाजल से शुद्ध करना होगा।
- भगवान विष्णु को स्थापित कर उन्हें चंदन, अक्षत, तुलसी दल और पीले फूल अर्पित करें। तुमसे जरूर रखें क्योंकि इसके बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते हैं।
- व्यक्ति चाहे तो इस दिन निर्जला या फिर फलाहार वाला व्रत रख सकता है।
- व्रत के दौरान ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करें। दिनभर भगवान विष्णु का ध्यान करें और शाम को आरती कर भोग लगाएं।
- भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजन करना भी बहुत शुभ माना गया है। जो देवी की पूजन करता है उसे शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।
- व्रत खोलते समय शुभ समय का ध्यान रखें और इस दौरान आपके पास तुलसी दल जरूर रहना चाहिए।
इन बातों का रखें ध्यान
- एकादशी के व्रत के दौरान प्याज, लहसुन, चावल और किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए।
- इस दिन किसी का मन ना दुखाएं। झूठ,क्रोध और बाद में पूरी तरह।
- पूरे समय भगवान विष्णु का ध्यान करें और शाम के समय दीपदान जरूर करें।
- व्रत के साथ दान का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन जरूरतमंदों को कंबल या अन्न का दान जरूर करें।
Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।





