जूनियर डॉक्टर्स की चेतावनी- मांगे नहीं मानी तो जायेंगे हड़ताल पर

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना।  कोरोना काल में दिन रात सेवाएं दे रहे मध्यप्रदेश के जूनियर डॉक्टर्स  (Junior Doctors) अब अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए जिद पर अड़ गए हैं। इंदौर, भोपाल में जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं लेकिन ग्वालियर में जूनियर डॉक्टर्स (Junior Doctors)ने 7 दिन का अल्टीमेटम देते हुए जीआर मेडिकल के डीन और जयारोग्य अस्पताल समूह के अधीक्षक को एक मांग पत्र सौंपा है।  जूनियर डॉक्टर्स ने  चेतावनी दी है कि यदि मांगे नहीं मानी गई तो वे हड़ताल पर चले जायेंगे।

पिछले लम्बे समय से अपनी मांगों को लेकर आक्रोश जता रहे जूनियर डॉक्टर्स (Junior Doctors) अब कोई नतीजा चाहते हैं।  इंदौर और भोपाल में इमरजेंसी सेवाएं बंद हैं डॉक्टर्स हड़ताल (Junior Doctors) पर चले गए हैं  लेकिन ग्वालियर में जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर नहीं गए हैं उन्होंने गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के प्रभारी डीन डॉ समीर गुप्ता और जयारोग्य अस्पताल समूह के अधीक्षक डॉ आरकेएस धाकड़ को एक मांगपत्र भेज कर चेतावनी के साथ कहा है कि उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वे भी काम बंद कर सकते हैं।

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हालाँकि जूनियर डॉक्टर्स (Junior Doctors) ने अपने विरोध प्रदर्शन का स्वरूप तो नहीं बताया लेकिन उन्होंने एक तरह से चिकित्सा शिक्षा विभाग को चेतावनी दी है कि जब 7 दिन के अंदर जूनियर डॉक्टरों के साथ मीटिंग कर  विचार नहीं किया गया तो उन्हें भी हड़ताल जैसा कदम उठाने के लिए मजबूर होना पडेगा।

जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ग्वालियर के अध्यक्ष डॉ देवेंद्र शर्मा ने कहा कि पिछले 21 दिन बीत जाने के बाद भी सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है। हारकर भोपाल और इंदौर में जूनियर डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवाओं को रोक दिया है। लेकिन ग्वालियर में गुरुवार को जूनियर डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवाओं को जारी रखा। उन्होंने काम बंद नहीं किया लेकिन अधीक्षक और डीन को नोटिस भेजकर कहा है कि अगले 24 घंटे में उनकी समस्याओं को लेकर कोई ठोस कार्य योजना नहीं बनी तो वे भी विरोध प्रदर्शन करेंगे। इसके लिए उन्होंने ज्ञापन,कालेज परिसर में विरोध प्रदर्शन और काली पट्टी बांधने जैसा तरीका अपनाने का कहा है लेकिन उन्होंने खुलकर अपनी रणनीति को साफ नहीं किया है।

गौरतलब है कि जूनियर डॉक्टर अपनी सुरक्षा कोविड-19 में तैनाती के कारण स्टाइपेंड बढ़ाने, कोविड-19मे कार्यरत जूनियर डॉक्टरों के बीमार होने पर 10 फ़ीसदी पलंग आरक्षित करने और स्पेशलाइजेशन वाले विषय में पिछले 1 साल से कोई पढ़ाई नहीं होने पर उसकी ट्यूशन फीस माफ करने जैसी कई मांगों पर अड़े हैं।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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