इंदौर, आकाश धोलपुरे
अब तक दिल्ली, मुंबई और चेन्नई के चक्कर काटने की झंझट से प्रदेशवासियों को मुक्ति मिल गई है। दरअसल, इंदौर के एक अस्पताल में प्रदेश का पहला लाइव डोनर लिवर ट्रांसप्लांट हुआ है। जिसमे एक पति को न सिर्फ उसकी पत्नि ने अपने लिवर का हिस्सा दिया बल्कि उसके जीवन की रक्षा भी की। डॉक्टरों की माने तो अब तक कैडेबर ऑर्गन डोनेशन के जरिये किसी मृतक का ऑर्गन लेकर मरीज को लगाया जाता था लेकिन लाइव डोनर लिवर ट्रांसप्लांट के जरिये ये सम्भव हो सका है कि जीवित व्यक्ति के अंग का उपयोग होता है।
इंदौर के सीएचएल हॉस्पिटल में सफल सर्जरी 16 जुलाई को की गई। बताया जा रहा है कि तेजसिंह मेवाड़ा के पेट मे पानी भरने की समस्या अक्सर रहती थी जिसके बाद दवाओं के असर न होने के चलते डॉक्टरों ने फैसला लिया कि तेजसिंह का लिवर ट्रांसप्लांट किया जाए। इसके बाद तेजसिंह की पत्नि लाड़ कुंवर ने अपने पति की जीवन की रक्षा के लिए लिवर डोनेट करने का फैसला लिया।
16 जुलाई को लिवर ट्रांसप्लांट के लिए सर्जरी की गई जिसमे पत्नि (डोनर) के लिवर से 575 ग्राम हिस्सा निकाला गया, जो 6 हफ्ते में रीजनरेट भी हो जाएगा। तेज सिंह के ऑपरेशन में पेट से 10 लीटर पानी निकला।सीएचएल अस्पताल के चेयरमैन डॉ. राजेश भार्गव ने बताया कि ये पहला मौका है जब प्रदेश में इस तरह से लिवर ट्रांसप्लांट किया गया है जिसका सीधा असर ये होगा कि अब इस तरह के मरीजो को लीवर ट्रांसप्लांट के लिए अन्य राज्यो व उनके शहरों के बड़े अस्पतालों पर निर्भर नही रहना पड़ेगा। बता दे कि कुछ साल पहले इसी तरह लिवर ट्रांसप्लांट के अपने मासूम बेटे को बचाने के लिए इंदौर के कमाठीपुरा निवासी एक माँ ने अपने लिवर का एक हिस्सा बच्चे को दिया था और ये लिवर ट्रांसप्लांट दिल्ली में हुआ था। इस मामले के 3 साल गुजर जाने के बाद अब माँ और बेटे आज भी स्वस्थ है। फिलहाल, अब प्रदेश में जब पहला लाइव डोनर लिवर ट्रांसप्लांट हुआ है तो लोगो को ये उम्मीद है कि जल्द ही पति – पत्नि आम जिंदगी में लौट आये।