भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। नवजात शिशुओं के लिए स्तनपान बेहद जरूरी है। स्तनपान शिशुओं को आवश्यक पोषण प्रदान करने का सबसे अच्छा तरीका है। स्तनपान को प्रोत्साहित करने और दुनियाभर के शिशुओं के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए हर वर्ष 1 से 7 अगस्त तक “विश्व स्तनपान सप्ताह” मनाया जाता है। मध्यप्रदेश में भी महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा स्तनपान सप्ताह मनाने की तैयारी की जा रही है।
विश्व स्तनपान सप्ताह पर सभी जिलों में साप्ताहिक वेबिनार, स्थानीय भाषा में स्लोगन का पोस्टर एवं वीडियो का प्रचार, मीडिया का संवेदीकरण, स्तनपान कराने वाली महिलाओं को सफल गाथाओं का संकलन कर रेडियो में प्रसारण, डिजिटल पिक्चर स्टोरी प्रतियोगिता, पोषण प्रशिक्षण आदि कार्यक्रम आयोजित होंगे। संचालक महिला बाल विकास विभाग निधि निवेदिता ने बताया कि मध्यप्रदेश में प्रति वर्ष जन्म लेने वाले 14 लाख बच्चों में से केवल 4.8 लाख बच्चों को जन्म के तुरंत बाद जीवन रक्षक खीस (कोल्स्ट्रम) मिलता है। लगभग 9 लाख बच्चे इससे वंचित रहते हैं।
उन्होंने बताया कि केवल 8 लाख बच्चों को 6 माह तक माँ का दूध दिया जाता है, 5.8 लाख बच्चे इससे वंचित रह जाते हैं। जन्म से 24 घंटे के बाद स्तनपान शुरू कराने से शिशुओं के मौत का खतरा 2.4 गुना बढ़ जाता है। स्तनपान एवं ऊपरी आहार से शिशु मृत्यु दर में 19 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है। इसके लिए समाज को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। परिवार के सदस्यों को यह समझना आवश्यक है कि स्तनपान विशेष रूप से विभिन्न संक्रामक बीमारियों से बचाने में सक्षम है, क्योंकि यह सीधे माँ से रोग प्रतिकारक क्षमता को स्थानांतरित करके शिशु की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मजबूत कर देता है।