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Fri, Dec 19, 2025

शेयर बाजार में बड़ी गिरावट: सेंसेक्स 800 अंक टूटा, निफ्टी भी 25000 के नीचे फिसला

Written by:Vijay Choudhary
Published:
शेयर बाजार में बड़ी गिरावट: सेंसेक्स 800 अंक टूटा, निफ्टी भी 25000 के नीचे फिसला

भारतीय शेयर बाजार में शुक्रवार का दिन निवेशकों के लिए भारी रहा। सुबह से ही बाजार में गिरावट देखने को मिली और जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ा, यह गिरावट और गहराती गई। कारोबार खत्म होने तक सेंसेक्स करीब 800 अंक टूट गया, वहीं निफ्टी 25000 के नीचे चला गया। लगभग सभी सेक्टरों में बिकवाली का दबाव रहा, जिससे निवेशकों को बड़ा नुकसान हुआ।

सेंसेक्स-निफ्टी में भारी गिरावट, निवेशकों को बड़ा झटका

30 प्रमुख शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स दिन के अंत तक करीब 800 अंक गिरकर बंद हुआ। निफ्टी में भी गंभीर गिरावट देखी गई और यह 25000 के नीचे फिसल गया। बाजार के इस करेक्शन फेज में कई दिग्गज कंपनियों के स्टॉक्स में 5% तक की गिरावट दर्ज की गई। बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 4.75 लाख करोड़ रुपये घटकर 453.35 लाख करोड़ रुपये रह गया।

बैंकिंग और फाइनेंशियल स्टॉक्स सबसे ज्यादा दबाव में

इस गिरावट की सबसे बड़ी मार बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर पर पड़ी है। बजाज फाइनेंस के कमजोर तिमाही नतीजों के बाद इस सेक्टर में बिकवाली बढ़ी। निफ्टी बैंक इंडेक्स में 600 अंकों से ज्यादा की गिरावट आई। बजाज ग्रुप के शेयरों में 5.5% और 4.5% तक की गिरावट दर्ज हुई। यूनियन बैंक, इंडियन बैंक और केनरा बैंक जैसे पीएसयू बैंकों के शेयर भी 3% से ज्यादा टूटे।

अमेरिका-भारत ट्रेड डील में देरी से बढ़ी अनिश्चितता

बाजार में गिरावट की एक बड़ी वजह भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील में देरी भी है। अमेरिका ने जापान, वियतनाम, इंडोनेशिया जैसे देशों के साथ डील फाइनल कर ली है, लेकिन भारत के साथ बातचीत अभी अधूरी है। 1 अगस्त को टैरिफ लगाने की डेडलाइन नजदीक आ रही है, जिससे निवेशक घबराए हुए नजर आ रहे हैं। जब तक डील पर स्पष्टता नहीं आती, तब तक बाजार पर दबाव बना रह सकता है।

एफआईआई की बिकवाली और कमजोर तिमाही नतीजे बनीं वजह

विदेशी निवेशकों (FIIs) ने पिछले चार कारोबारी दिनों में 11,500 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिकवाली की है। यह गिरावट का एक बड़ा कारण रहा है। इसके अलावा, पहली तिमाही के कमजोर नतीजों से भी बाजार में नकारात्मकता फैली है। खासतौर पर आईटी और फाइनेंशियल सेक्टर की कंपनियां उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाईं। मैनेजमेंट के सतर्क रुख से भी निवेशकों की धारणा पर असर पड़ा है।