चीन ने बिना किसी सार्वजनिक घोषणा के साल 2025 के लिए रेयर अर्थ माइनिंग और स्मेल्टिंग का कोटा जारी कर दिया है। पहले यह घोषणा वेबसाइट पर की जाती थी, लेकिन इस बार सब कुछ चुपचाप हुआ। जानकारों के अनुसार, यह चीन की रणनीति का हिस्सा है जिससे वह रेयर अर्थ सेक्टर पर अपनी पकड़ और मजबूत कर सके।
रेयर अर्थ यानी 17 दुर्लभ तत्वों का समूह, जिनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों, मिसाइलों, रोबोट और विंड टर्बाइनों जैसे हाईटेक उत्पादों में होता है। चीन इस क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है और यही वजह है कि उसकी हर हरकत पर पूरी दुनिया की नजर रहती है।
अमेरिका को जवाब देने की तैयारी
चीन ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब अमेरिका ने कुछ चीनी उत्पादों पर टैरिफ (आयात शुल्क) बढ़ा दिए हैं। जवाब में चीन ने कुछ रेयर अर्थ और मैग्नेट को निर्यात प्रतिबंध सूची में डाल दिया है। इससे वैश्विक आपूर्ति प्रभावित हुई है और चीन के बाहर की कई ऑटो कंपनियों को उत्पादन रोकना पड़ा है। चीन के उद्योग और सूचना मंत्रालय ने इस बार कोटा जारी करने की बात सार्वजनिक नहीं की, और कंपनियों से कहा गया कि वे इसे शेयर न करें। ये साफ संकेत हैं कि चीन इस रणनीतिक संसाधन को अब हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है।
भारत पर पड़ेगा सीधा असर
भारत की ईवी इंडस्ट्री रेयर अर्थ पर पूरी तरह चीन पर निर्भर है। लगभग 95% रेयर अर्थ मैग्नेट भारत चीन से ही आयात करता है। खासकर नियोडिमियम और डिस्प्रोसियम जैसे तत्व इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मोटर और बैटरी में जरूरी होते हैं। मारुति सुजुकी जैसी कंपनियों ने ई-विटारा ईवी का उत्पादन दो-तिहाई तक घटा दिया है क्योंकि चीन से जरूरी मैग्नेट नहीं आ रहे। यह स्थिति भारत की 2030 तक 30% वाहन बिक्री को ईवी में बदलने की योजना को झटका दे सकती है।
नौकरियों और इंडस्ट्री पर भी संकट
इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर पर भी इसका बड़ा असर हो रहा है। ELCINA की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ऑडियो इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में 21,000 नौकरियां खतरे में हैं। हेडफोन, स्पीकर, और वियरेबल्स बनाने वाली कंपनियां नियोडिमियम मैग्नेट के लिए चीन पर निर्भर हैं। रेयर अर्थ की कमी से उत्पादन महंगा होगा, देरी होगी और छोटे कारोबार बंद होने की कगार पर पहुंच सकते हैं।
भारत के लिए अब क्या रास्ता?
भारत के सामने अब दो रास्ते हैं – या तो अपनी आपूर्ति सुरक्षित करे या रेयर अर्थ पर निर्भरता कम करे। अच्छी बात ये है कि भारत ने *रेयर-अर्थ-फ्री मोटर्स* पर काम शुरू कर दिया है। इसमें स्टील, तांबा और एल्यूमीनियम जैसी आसानी से उपलब्ध चीजों का उपयोग होगा। सरकार रणनीतिक रूप से घरेलू संसाधनों की खोज और दोबारा उपयोग की दिशा में भी कदम बढ़ा रही है। इससे न केवल आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा लक्ष्यों को भी मजबूती मिलेगी।





