MP Breaking News
Sat, Dec 20, 2025

सर्फ एक्सेल को बदनाम करने के आरोप में फंसा घड़ी ब्रांड, कोर्ट ने तीन विवादित लाइनों को लेकर सुनाया बड़ा फैसला

Written by:Ronak Namdev
Published:
दिल्ली हाई कोर्ट ने Ghadi डिटर्जेंट के TV और डिजिटल विज्ञापनों में Surf Excel को गलत तरीके से निशाना बनाने वाली तीन पंक्तियाँ हटाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने उत्पादन कंपनी RSPL को 24 जून तक संशोधन करने का आदेश दिया है। जानें कोर्ट ने किन लाइनों को हटाया और आगे क्या होगा।
सर्फ एक्सेल को बदनाम करने के आरोप में फंसा घड़ी ब्रांड, कोर्ट ने तीन विवादित लाइनों को लेकर सुनाया बड़ा फैसला

दिल्ली हाई कोर्ट ने Ghadi डिटर्जेंट की वो TV और डिजिटल विज्ञापन सीरीज ठीक करने का आदेश दिया है, जिसमें Surf Excel ब्रांड पर तीखी टिप्पणियाँ शामिल थीं। कोर्ट ने तीन स्पष्ट पंक्तियाँ  “Na Na, yeh dhoka hai”, “Aapka kare badi badi baatein par dho nahi paate”, और “Iske jhaag acche hai, daam acche hai” हटाने के निर्देश दिए हैं। आदेश के अनुसार, 24 जून से पहले ही ये संशोधन करना अनिवार्य होगा।

Ghadi निर्माता RSPL ने जून में चार नई विज्ञापन फिल्में रिलीज़ की, जिनमें अभिनेता रवि किशन ने Surf Excel पर आलोचनात्मक टिप्पणी करते हुए दर्शकों को भ्रमित करने का प्रयास किया। Hindustan Unilever ने तीन कथन विवादित बताते हुए कोर्ट में शिकायत की “Na Na, yeh dhoka hai”, “Aapका … dho nahi paate”, और “Iske jhaag acche hai … daam acche hai”। कोर्ट ने इन्हें Surf Excel के ‘Daag Acche Hai’ कैम्पेन की तर्ज पर प्रतिरूपित किया गया मानते हुए तत्काल हटाने का निर्देश दिया। Rspl को स्पष्ट रूप से 24 जून की सीमा दी गई है, जिसके बाद ही विज्ञापन पुनः प्रसारित हो सकते हैं।

विवादित पंक्तियाँ और अदालत की टिप्पणी

कोर्ट ने तीन प्रमुख पंक्तियों को ‘derogatory’ करार दिया जो सीधे Surf Excel को निशाने पर लेती थीं। “Aapka … dho nahi paate” और “Na Na, yeh dhoka hai” ने पैकेजिंग और क्लेम्स पर हमला किया, जबकि “Iske jhaag acche hai…” कथन ने स्पष्ट रूप से दावे की तुलना Surf Excel के ‘Daag Acche Hai’ से की। जज प्रियंका सिंह ने कहा कि अपेक्षित तुलना की सीमा नहीं पार करनी चाहिए, और ‘तार्निशिंग’ या ‘diffamation’ मना है।

RSPL और HUL की दलीलें

RSPL ने जवाब में कहा कि ‘Excel’ शब्द और नीले रंग में उनका कोई वर्चस्व नहीं है, क्योंकि कई ब्रांड उसी रंग और नाम का उपयोग करते हैं। वहीं HUL ने बताया कि Surf Excel की नीली पैकेजिंग 1996 से लोकप्रिय है और इसका टर्नओवर ₹11,000 करोड़ से ऊपर है। HUL ने यह भी कहा कि RSPL ने जान-बूझकर उनकी पहचान और ब्रांडिंग पर हमला किया है, इसलिए कार्रवाई जरूरी है। कोर्ट ने कॉम्पेरिटिव एडवर्टाइजिंग की सीमाएं स्पष्ट करना आवश्यक समझा।

आगे की कार्यवाही और अगली सुनवाई

अदालत ने RSPL को 24 जून तक विज्ञापनों में संशोधन करने का दिशा-निर्देश देते हुए अगली सुनवाई 16 जुलाई तय की है। इस दौरान RSPL को उत्तर दाखिल करना होगा जबकि HUL की याचिका पर पुनः बहस होगी। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि प्रतिस्पर्धी विज्ञापन स्वीकार्य है, लेकिन यहां स्पष्ट रूप से प्रतिद्वंद्वी ब्रांड को बदनाम किया गया था, जो मंज़ूर नहीं। कोर्ट ने ‘पफरी’ और ‘tarnishing’ के बीच का अंतर स्पष्ट कर दिया।