इस समय भारतीय करेंसी रुपया परेशानी से जूझ रहा है। रुपए में डॉलर के मुकाबले लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। डॉलर के मजबूत होने से सरकार की चिंता भी बढ़ गई है। बुधवार को रुपए में रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिली और रुपया 90 के स्तर को तोड़ते हुए ऑल-टाइम लो लेवल पर पहुंच गया। इस गिरावट का सबसे बड़ा कारण मार्केट में डॉलर की मजबूती है। डॉलर की मांग बढ़ रही है, जिससे रुपया लगातार गिर रहा है। इसके अलावा विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली, भू-राजनैतिक अनिश्चितता और अमेरिका–भारत ट्रेड डील में देरी भी इसका एक बड़ा कारण है।
वहीं अब रुपए में हो रही इस बड़ी गिरावट को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी बड़ा बयान दिया है। निर्मला सीतारमण का मानना है कि भारत को मजबूत ग्रोथ आउटलुक के बीच भारतीय करेंसी अपना रास्ता खुद खोज लेगी।
रुपए को अपना रास्ता खुद ढूंढना होगा: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
दरअसल हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट के 23वें एडिशन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रुपए में हो रही गिरावट को लेकर बयान दिया। वित्त मंत्री ने कहा कि ‘रुपए को अपना रास्ता खुद ढूंढना होगा।’ दरअसल वित्त मंत्री की ओर से इस बात पर भी जोर दिया गया है कि रुपए की तुलना पिछली स्थितियों से नहीं की जानी चाहिए। इस स्तर पर मौजूदा आर्थिक हकीकत को शामिल किया जाना चाहिए। वित्त मंत्री का कहना है कि ‘मौजूदा ग्रोथ को देखना चाहिए, इकोनॉमी के फंडामेंटल को देखना चाहिए। इस पर बहस को मौजूदा हकीकत के हिसाब से तय किया जाना चाहिए, न कि पिछली स्थितियों से सीधे-सीधे तुलना की जानी चाहिए।’
जीडीपी ग्रोथ भी 8% से ऊपर
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि जब रुपये की वैल्यू कम होती है तो ऐसी स्थिति में एक्सपोर्टर्स को इसका फायदा उठाना चाहिए। इत्तेफ़ाक से कुछ लोग कहते हैं कि उस समय इससे कुछ राहत मिली है। भले ही यह सच हो, लेकिन मैं उस एक्सप्लेन से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हूं। लेकिन यह भी सच है कि इकोनॉमी की मजबूती का भी आकलन किया जाना चाहिए। जानकारी दे दें कि पिछले कुछ समय में रुपए में रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिली है। पिछले 8 महीनों में रुपया 85 से 90 तक गिर गया है। 4 दिसंबर को रुपए ने अपना ऑल-टाइम लो बनाया। 4 दिसंबर को डॉलर के मुकाबले रुपया 90.46 के अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि रिटेल महंगाई रिकॉर्ड निचले स्तर पर है, जबकि जीडीपी ग्रोथ भी 8% से ऊपर है। लेकिन इसके बावजूद घरेलू रुपया कमजोर हो रहा है।





