अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी की मुश्किल खत्म होती हुई नजर नहीं आ रही है। दरअसल अरबों रुपए की रिश्वत देने और धोखाधड़ी के आरोप में अब मामला और बढ़ गया है। अडानी ग्रुप का यह मामला सुप्रीम कोर्ट के बाद अब मद्रास हाई कोर्ट तक पहुंच चुका है। वही मद्रास हाई कोर्ट मैं एक याचिका दायर की गई है। इस याचिका में कोर्ट से गृह मंत्रालय को स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT), एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) या सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) के द्वारा जांच करने के निर्देश देने की मांग की गई है।
जानकारी के मुताबिक मद्रास हाई कोर्ट में यह याचिका एडवोकेट और देसिया मक्कल शक्ति काची के प्रेसिडेंट एमएल रवि द्वारा दायर की गई है। इस याचिका के माध्यम से एमएल रवि ने अडानी पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने इस याचिका में भारतीय संस्थानों के साथ सोलर पावर सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट को सुनिश्चित करने के लिए अडानी पर रिश्वत लेने और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है।
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पहले से है दायर
दरअसल इससे पहले एडवोकेट विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। 24 नवंबर को दायर की गई इस याचिका में गौतम अडानी पर लगे आरोपों की जांच करने की मांग की गई थी। एडवोकेट विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में कहा था कि अमेरिका जस्टिस डिपार्टमेंट के आदेश और यूनाइटेड स्टेट सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन की शिकायत से यह उजागर होता है कि अडानी ग्रुप में कितनी गड़बड़ियां है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि देश में बड़ी एजेंसियों द्वारा अडानी ग्रुप के इस मामले की जांच की जाना चाहिए है। इससे पहले जब हिडेनबर्ग रिपोर्ट का मामला सामने आया था तभी एडवोकेट विशाल द्वारा ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
मद्रास हाई कोर्ट से की गई मांग
वहीं मंगलवार को दायर की गई इस याचिका में मद्रास कोट हाई कोर्ट से मांग की गई है कि भारत की बड़ी एजेंसियों को इस मामले में जांच करना चाहिए। वहीं याचिकाकर्ता कहना है कि अमेरिकी जस्टिस डिपार्मेंट ने अडानी मामले को उजागर किया है। इस बड़े भ्रष्टाचार को उजागर किया गया है। इसके बाद भी भारतीय एजेंसियां इसे लेकर चुपचाप बैठी हुई है। उनका मानना है कि भारत की एजेंसियां अडानी मामले में सिर्फ दर्शकों का काम कर रही है। ऐसे में कोर्ट को इस मामले में जांच के आदेश देना चाहिए।