भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। सोना (Gold ) खरीदने-बेचने वाले ग्राहकों के लिए काम की खबर है। 1 जून से गोल्ड हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking 2022) का दूसरा फेज लागू होने जा रहा है। इसमें मध्य प्रदेश के 4 जिले भी शामिल है, जहां 1 जून के बाद सोना कारोबारी बिना हॉलमार्क के सोना नहीं बेच सकेंगे।इससे ना सिर्फ ग्राहक को गारंटी के साथ शुद्ध सोना मिलेगा बल्कि सराफा का पूरा कारोबार नंबर एक में हो जाएगा, जिससे सरकार के टैक्स में भी बढ़ोतरी होगी।
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बीते साल 2021 से सोने के आभूषण और कलाकृतियों की अनिवार्य हॉलमार्किंग को 1 जून से अनिवार्य कर दिया गया है। पहले फेज में 256 जिलों में हॉलमार्किंग को अनिवार्य किया गया था और अब सेकेंड फेज में 32 जिले शामिल किए जा रहे हैं। दूसरे चरण के तहत 1 जून 2022 से सोने के गहनों की बुकिंग के लिए गोल्ड हॉलमार्किंग अनिवार्य होगी। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा कि अनिवार्य हॉलमार्किंग के दूसरे चरण के दायरे में स्वर्ण आभूषणों के तीन अतिरिक्त कैरेट (20, 23 और 24 कैरेट) के अलावा 32 नए जिले आएंगे, जहां पहले चरण के क्रियान्वयन के बाद एक ‘परख एवं हॉलमार्क केंद्र (AHC)’ स्थापित किया गया है।
आसान शब्दों में कहे तो अनिवार्य हॉलमार्किंग के दूसरे चरण के दायरे में 32 जिले आएंगे, जहां सभी ज्वैलर्स को सिर्फ गोल्ड हॉलमार्किंग वाले गहने ही बेचने की अनुमति होगी। इस चरण में 24 कैरेट गोल्ड के आभूषण भी अब अनिवार्य गोल्ड हॉलमार्किंग के दायरे में होंगे।इनमें मप्र के 4 जिले मुरैना, उज्जैन, छतरपुर और बालाघाट शामिल हैं। नई व्यवस्था में न सिर्फ रेडीमेड गहने बेचने वाले बल्कि, गहने बनाने वाले कारीगरों के लिए भी यह नियम अनिवार्य होगा कि वह अपने किसी भी सोने के गहने को बिना हालमार्क के नहीं बेचेंगे।
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गौरतलब है कि गोल्ड हॉलमार्किंग सोने की शुद्धता की गारंटी है, जिसके तहत सोने की शुद्धता नापी जाती है। सोने की शुद्धता के मुताबिक ही इसे अलग-अलग कैरेट में विभाजित किया जाता है। बढ़ते कैरेट के साथ सोने के गहनों की गुणवत्ता और कीमत में अंतर आता है । पूरे देश में लगभग 900 हॉलमार्किंग सेंटर हैं। एक सेंटर में लगने वाली मशीनों और उपकरणों की लागत करीब एक करोड़ रुपए हैं।वर्तमान में मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में करीब 15 हजार सोने-चांदी की दुकानें हैं और 18 हॉलमार्किंग सेंटर। यह सेंटर भी सिर्फ 6 जिलों इंदौर, भोपाल, रतलाम, जबलपुर, उज्जैन और ग्वालियर में हैं, ऐसे में नियम लागू होते ही सेंटरों पर भार बढ़ सकता है।