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Thu, Dec 18, 2025

₹511 करोड़ में HAL को मिली SSLV टेक्नोलॉजी, अब हर साल बनाएगा 12 सैटेलाइट रॉकेट, स्पेस सेक्टर में भारत बनेगा आत्मनिर्भर!

Written by:Ronak Namdev
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HAL ने ISRO से ₹511 करोड़ में Small Satellite Launch Vehicle (SSLV) टेक्नोलॉजी ट्रांसफ़र करके भारत की तीसरी रॉकेट निर्माता कंपनी बनने की घोषणा की। अब HAL खुद SSLV लॉन्च करेगा, जिससे सरकार की निजी क्षेत्र को अंतरिक्ष में बढ़ावा देने की रणनीति पर ज़ोर बनेगा और छोटे उपग्रहों के वाणिज्यिक प्रक्षेपण में गति आएगी।
₹511 करोड़ में HAL को मिली SSLV टेक्नोलॉजी, अब हर साल बनाएगा 12 सैटेलाइट रॉकेट, स्पेस सेक्टर में भारत बनेगा आत्मनिर्भर!

ISRO की SSLV तकनीक HAL को ट्रांसफ़र करने का सरकारी फैसला आज IN-SPACe द्वारा जारी किया गया। ₹511 करोड़ की टेंडर राशि जीतने के बाद हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स दो साल में दो प्रोटोटाइप लॉन्च करेगा। इसके बाद सालाना 6–12 SSLV कमर्शियल लॉन्च करने की योजना है। इससे SKYROOT और AGNIKUL जैसे स्टार्टअप्स के साथ भारत के आईटी और एयरोस्पेस सेक्टर को और गति मिलेगी।

SSLV टेक्नोलॉजी ट्रांसफ़र के साथ हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स अब SSLV के डिजाइन, निर्माण, लॉन्च और मार्केटिंग का फैसला खुद ले सकेगा। यह भारत में ISRO-पेलेएड रॉकेट सिस्टम से हटकर पहला मौका है, जब एक सार्वजनिक कंपनी को पूरा लॉन्च वेंचुर मिल रहा है। न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) इसके कमर्शियल लॉन्‍च सर्विसेज को मैनेज करेगी, जबकि इस साझेदारी से गौरवपूर्ण रूप से भारत अंतरिक्ष वाणिज्य में खुद सक्रिय हो जाएगा। यह निर्णय देश की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में निजी साझेदारी को मजबूत करेगा और ग्लोबल लांच बाजार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाएगा।

HAL अब SSLV निर्माण में कैसे महारत हासिल करेगा

IN-SPACe के चेयरमैन पवन गोयनका ने बताया कि HAL अब SSLV का निर्माण, उत्पादन और संचालन कर सकेगा। ISRO द्वारा अगले दो साल में दो प्रोटोटाइप का निर्माण और लॉन्च करने में मदद मिलेगी, इसके बाद HAL सालाना 6–12 SSLV रॉकेट बनाएगा, जैसा अंतर्राष्ट्रीय मांग होगी । SSLV का उद्देश्य सस्ते और शीघ्र उपग्रह लॉन्च प्रदान करना है। यह 500 किलोग्राम तक के छोटे उपग्रहों को त्वरित व प्रभावी तरीके से low-Earth orbit में भेजेगा भारत की वाणिज्यिक अंतरिक्ष संभावनाओं के लिए महत्वपूर्ण योगदान देगा।

भारत की स्पेस नीति में HAL का रोल और निजी भागीदारी

यह कदम भारत की अंतरिक्ष नीति में निजी और सार्वजनिक साझेदारी को दर्शाता है। एस्ट्रोटेक्सपर्ट ने बताया कि विश्व में छोटे उपग्रह चढ़ाने की इंडस्ट्री $44 बिलियन तक पहुंचने की राह पर है, जिसमें India का हिस्सा वर्तमान में केवल 2% है । Skyroot Aerospace और Agnikul Cosmos जैसे स्टार्टअप्स पहले ही SSLV जैसी क्षमता पर काम कर रहे हैं । हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्सकी यह भूमिका ISRO की टेक्नोलॉजी व्यापक रूप से उद्योग में फैलाने और निवेश आकर्षित करने का संकेत देती है, जो अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगी।

अंतरिक्ष इंडस्ट्री में भारत का भविष्य

यह SSLV प्रोजेक्ट भारत की अंतरिक्ष वाणिज्यिक पहल के तहत किया गया एक प्रमुख कदम है, जिससे वैश्विक उपग्रह लॉन्च मार्केट में भारत की पकड़ मजबूत होगी। IN-SPACe के अनुसार, 20 अन्य कंपनियों ने पहले इसमें दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स ने ₹511 करोड़ की सबसे बड़ी बोली लगाकर यह समझा कि वह क्रियान्वयन के लिए सक्षम है। इससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय क्लाइंट्स को सस्ती और तेज़ लॉन्च सेवाएं उपलब्ध होंगी, और भारत अंतरिक्ष क्षितिज पर अधिक सक्रिय देश बनेगा।