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Fri, Dec 19, 2025

भारत की आर्थिक रफ्तार तेज, HSBC फ्लैश PMI ने दिखाया मजबूती का संकेत

Written by:Vijay Choudhary
Published:
भारत की आर्थिक रफ्तार तेज, HSBC फ्लैश PMI ने दिखाया मजबूती का संकेत

भारत का प्राइवेट सेक्टर जुलाई में जबरदस्त तेजी के साथ आगे बढ़ा है। HSBC फ्लैश इंडिया कंपोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) की ताज़ा रिपोर्ट में बताया गया है कि मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर, दोनों में आर्थिक गतिविधियों ने तेजी पकड़ी है। इसका सीधा असर भारत की आर्थिक ग्रोथ पर भी साफ दिख रहा है। जुलाई में PMI इंडेक्स 60.7 पर पहुंच गया, जो जून में 58.4 था। यानी एक महीने में ही सेक्टर में बड़ा उछाल आया है, जो देश के कारोबारी माहौल के लिए अच्छी खबर है।

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने दिखाया 17 साल का सबसे अच्छा प्रदर्शन

जुलाई में मैन्युफैक्चरिंग PMI 59.2 पर पहुंच गया, जो पिछले महीने 58.4 था। यह बीते 17 वर्षों का सबसे ऊंचा स्तर है। इस शानदार आंकड़े का कारण है – डिमांड में बढ़ोतरी, ज्यादा एक्सपोर्ट ऑर्डर्स और प्रोडक्शन में तेजी। इसका मतलब है कि देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को न सिर्फ घरेलू, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों से भी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।

सर्विस सेक्टर की रफ्तार थोड़ी धीमी, लेकिन सकारात्मक

जहां मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर तेजी से आगे बढ़ा है, वहीं सर्विस सेक्टर का ग्रोथ थोड़ा धीमा हुआ है। जुलाई में सर्विसेज PMI 59.8 रहा, जो जून में 60.4 था। हालांकि यह थोड़ी गिरावट है, लेकिन फिर भी यह दर्शाता है कि सर्विस सेक्टर में विस्तार जारी है। खास बात यह रही कि सर्विस सेक्टर में नई नौकरियों की संख्या बढ़ी, जो अच्छे संकेत हैं।

बढ़ते इनपुट कॉस्ट और महंगाई का असर

HSBC की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जुलाई में इनपुट कॉस्ट (कच्चे माल की कीमतें) और आउटपुट शुल्क दोनों बढ़े हैं। यानी कंपनियों को प्रोडक्शन पर ज्यादा खर्च करना पड़ा है, और उन्होंने यह बोझ ग्राहकों पर डाला है। इस कारण थोड़ा महंगाई का दबाव बना है। साथ ही, बिजनेस कॉन्फिडेंस यानी कंपनियों का भरोसा पिछले साल की तुलना में थोड़ा कम हुआ है।

रोजगार की रफ्तार धीमी, लेकिन उम्मीदें बरकरार

हालांकि देश की आर्थिक गतिविधियां तेज हो रही हैं, रोजगार बढ़ने की रफ्तार अभी थोड़ी सुस्त है। खासकर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में कंपनियों ने अभी ज्यादा भर्तियां नहीं की हैं। इसके बावजूद सर्वे में कहा गया है कि अगले साल प्रोडक्शन को लेकर कंपनियां आशावादी हैं। खासकर सर्विस सेक्टर में हायरिंग में तेजी आ रही है, जो भविष्य में रोजगार बढ़ने का संकेत है।