भारत और पाकिस्तान के बीच भले ही सीजफायर पर सहमति बन गई हो, लेकिन इस बार की टक्कर पाकिस्तान को भारी पड़ गई। बीते कुछ दिनों में दोनों देशों के बीच तनाव ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा झटका दिया है। बता दें आंकड़े साफ दिखाते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच आर्थिक तुलना करना ही गलत बात है।
कैपिटलाइजेशन 6.26 लाख करोड़ रुपये है, जबकि पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज की टॉप 476 कंपनियों की कुल वैल्यू सिर्फ 5.66 लाख करोड़ रुपये है। यानी भारत की एक कंपनी ही पाकिस्तान के पूरे शेयर बाजार से बड़ी है। इतना ही नहीं, हिंदुस्तान यूनिलीवर की मार्केट वैल्यू 5.48 लाख करोड़ रुपये है, जो पाकिस्तान की कुल वैल्यू से बस थोड़ी ही कम है।
भारत और पाकिस्तान के शेयर बाजार में कितना है अंतर
दरअसल भारत का 1 रुपया करीब 3.28 पाकिस्तानी रुपये के बराबर है। इस हिसाब से देखा जाए तो पाकिस्तान के KSE-100 इंडेक्स की कुल मार्केट वैल्यू सिर्फ 3.31 लाख करोड़ रुपये है, जो भारत की एक बड़ी कंपनी अल्ट्राटेक सीमेंट (3.34 लाख करोड़) से भी कम है। अगर इसी तरह से गिरावट जारी रहती, तो पाकिस्तान का शेयर बाजार भारतीय मिड-कैप कंपनियों की कैटेगरी में आ जाता। पिछले शुक्रवार को IMF की ओर से बेलआउट पैकेज की उम्मीद के चलते पाकिस्तानी बाजार में हल्की तेजी जरूर आई, लेकिन यह सिर्फ अस्थायी राहत थी। अगर बाजार में 10 प्रतिशत की और गिरावट आती, तो पाकिस्तान का मार्केट कैप 2.98 लाख करोड़ तक गिर जाता, जो टाइटन कंपनी के आसपास है। 15 प्रतिशत गिरावट से वह अडानी पोर्ट्स के बराबर और 20 प्रतिशत गिरने पर पावर ग्रिड कॉरपोरेशन के लेवल पर आ जाता।
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर
वही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लंबे समय से दबाव में है। देश की GDP करीब 350 अरब डॉलर है, जबकि भारत की अर्थव्यवस्था 4 ट्रिलियन डॉलर के करीब है। पाकिस्तान विदेशी कर्ज, राजनीतिक अस्थिरता और निवेश की कमी से जूझ रहा है। IMF का बेलआउट पैकेज भी सिर्फ कुछ समय की राहत दे सकता है। दूसरी तरफ भारत न सिर्फ निवेशकों का पसंदीदा बाजार बना हुआ है, बल्कि यहां की बड़ी कंपनियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कंपीटीशन में भी आगे हैं। यही वजह है कि भारत की एकमात्र कंपनी भी पाकिस्तान की पूरी इकॉनमी को पछाड़ने में कम नहीं है।





