कई इंश्योरेंस प्लान अट्रेक्टिव रिटर्न ऑफर करते हैं. सिर्फ उन रिटर्न्स के झांसे में आकर इंश्योरेंस प्लान न खरीदें. बल्कि ये देखें कि उसमें जोखिम का फैक्टर कितना है. जिन्हें बाजार की समझ अच्छी होती है वो लोग यूनिट लिंक्ड इंवेस्टमेंट प्लान को भी चुन सकते हैं. कैलकुलेटेड रिस्क उठाकर आप बेहतर रिटर्न हासिल कर सकते हैं. लेकिन जिन्हें जानकारी न हो उन्हें ये प्लान नहीं चुनना चाहिए.
स्पेशलिटी इंश्योरेंस
स्पेशलिटी इंश्योरेंस ऐसा इंश्योरेंस है जो असामान्य परिस्थितियों को कवर करता है. इस तरह के इंश्योरेंस की खासियत ये होती है कि इसे कस्टमर की जरूरतों के हिसाब से काफी हद तक कस्टमाइज भी किया जाता है. इस वजह से ये इंश्योरेंस तेजी से पॉपुलर भी हो रहा है. इन तरह के इंश्योरेंस में स्विच ऑन-स्विच ऑफ इंश्योरेंस, सैशे या बाइट साइज इंश्योरेंस या कस्टमाइज इंश्योरेंस शामिल होते हैं.
ज्यादा रिटर्न की कोशिश
अपने लिए हमेशा ऐसा इंश्योरेंस चुने जो ज्यादा रिटर्न देने वाला हो. पर्सनल फाइनेंस के मामले में ऐसा संभव नहीं होता कि सबके लिए सारे इंश्योरेंस सॉल्यूशन सही हों. ये सेफ इंश्योरेंस से लेकर हाई रिस्क हाई रिटर्न वाले इंवेस्टमेंट तक हो सकते हैं. जिसमें से आपको अपनी रिस्क लेने की क्षमता और रिटर्न की वेल्यू देखकर प्लान चुनना होगा.
निवेश बनाकर रखना
लंबी अवधि के इंवेस्टमेंट पर कंपाउंड इंटरेस्ट यानी कि चक्रवृद्धि ब्याज मिलता है. जिसकी वजह से इनका रिटर्न बेहतर होता है. हालांकि कई लोगों की सोच ये ह ती है कि कभी भी पैसे की जरूरत पड़ी तो क्या करेंगे. इसी सोच के साथ वो शॉर्ट टर्म इंश्योरेंस को चुनते हैं. इंश्योरेंस लेते समय लॉन्ग और शॉर्ट दोनों का तालमेल बिठाना जरूरी है.
ऐसे समय में पार्टिसिपेटिंग और विथ प्रोफिट्स इंश्योरेंस प्लान अच्छा विकल्प साबित हो सकते हैं. ये लॉन्ग टर्म प्लान होने के साथ साथ एक अवधि के बाद जमा ब्याज को पॉलिसी होल्डर को ट्रांसफर कर देते हैं.
रिटायरमेंट की प्लानिंग
अपने रिटायरमेंट को प्लान करते हुए आप सरकारी सिक्योरिटीज, पोस्टल डिपोजिट, नेशनल पेंशन स्कीम, सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम, पब्लिक प्रोविडेंट फंड, बैंक फिक्स्ड डिपोजिट जैसे विकल्प चुन सकते हैं. लाइफ इंश्योरेंस के तहत मिलने वाले पेंशन प्लान भी आकर्षक रिटर्न देते हैं. साथ ही इनकी वजह से टैक्स में छूट भी मिलती है.