इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइलिंग प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है। करदाता वित्तवर्ष 2024-25 यानि असेस्मेंट ईयर 2025-26 के लिए 31 जुलाई 2025 तक ITR दायर कर पाएंगे। यह काम सैलरी, बिजनेस, प्रॉपर्टी इत्यादि से होने वाली इनकम की रिपोर्टिंग के लिए जरूरी होता है। ताकि वे टैक्स छूट, कटौती और रिफन्ड को क्लेम कर सके।
आईटीआर फ़ाइल करते समय सावधानी बरतना काफी जरूरी होता है। छोटी-सी गलती भी एप्लीकेशन को रिजेक्ट करवा सकती है। आयकर विभाग का नोटिस भी मिल सकता है। इसके अलावा जुर्माना भी लग सकता है। हम आपको कुछ सामान्य गलतियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अक्सर टैक्सपेयर्स अनजाने में कर बैठते हैं।

गलत फॉर्म का चुनाव न करें
आयकर विभाग 7 आईटीफॉर्म जारी करता है। वित्तवर्ष 2024-25 के लिए इससे संबंधित नोटिकेशन जारी हो चुका है। फॉर्म में कई बदलाव किए गए हैं। अक्सर टैक्सपेयर्स गलत फॉर्म का चुनाव करते हैं। इससे आपका रिटर्न इनवैलिड हो सकता है। दोबारा आईटीआर फ़ाइल करना पड़ता है। इसलिए पात्रता और आवश्यकतों के अनुसार के हिसाब से फॉर्म को चुनें।
सही समय पर पूरा करें काम
डेडलाइन निकलने के बाद आईटीआर भरना आपको भारी पड़ सकता है। 31 जुलाई के बाद यदि कोई व्यक्ति रिटर्न फ़ाइल करता है तो उसे 10 हजार रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा। इसके अलावा टैक्स डिडक्शन का लाभ भी नहीं मिलता। लॉस को कैरी फॉरवर्ड करने की सुविधा भी नहीं मिलती।
इन बातों का भी रखें ख्याल
- आईटीआर फ़ाइल करते समय सभी सोर्स से होने वाली इनकम का खुलासा करना जरूरी होता है। अक्सर लोग सैलरी, बिजनेस, प्रॉपर्टी को दर्शाते हैं लेकिन सेविंग, एफडी, म्यूचुअल फंड से होने वाले कैपिटेल की जानकारी देना भूल जाते हैं। ध्यान रखें कि आयकर विभाग एनुअल इंफॉरमेशन स्टेटमेंट के जरिए इसका पता लगा सकता है। गड़बड़ी मिलने पर नोटिस भी भेज सकता है।
- इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करने से पहले 25एएस और एआईएस को रिव्यू करना काफी जरूरी होता है। यदि लेनदेन और भुगतान किए टैक्स की जानकारी फॉर्म से मैच होना अनिवार्य है।
- आईटीआर फ़ाइल के बाद वेरिफिकेशन जरूर करें। बिना सत्यापन रिटर्न को वैध नहीं माना जाता। आप ओटीपी या नेट बैंकिंग के जरिए ऑनलाइन यह काम कर सकते हैं।