KYC New Rules: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने “अपने ग्राहक को जाने” यानि केवाईसी से संबंधित नियमों में कई बदलाव किए हैं। इस संबंध में केन्द्रीय बैंक ने सर्कुलर भी जारी किया है। नए नियम तत्काल प्रभाव से लागू हो चुके हैं। यह कदम मनी लॉन्ड्रिन्ग रोकथाम के लिए उठाया गया है। मास्टर निर्देशों में संशोधन किया गया है।
केवाईसी के जरिए वित्तीय संगठन अपने ग्राहकों के पहचान की जांच और वेरिफिकेशन करते हैं। यह भी सुनिश्चित करते हैं कि ग्राहक मनी लॉन्ड्रिन्ग, अंतकवादी वित्तपोषण इत्यादि गैरकानून गतिविधियों से जुड़ा है या नहीं। इससे ग्राहकों और संस्थान दोनों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है।
केवाईसी पर मास्टर निर्देशों में हुआ बदलाव (KYC Master Norms Amendments)
सर्कुलर में आरबीआई ने कहा, “जब भी विनियमित संस्था किसी ग्राहक से एक्स्ट्रा या अद्यतन जानकारी प्राप्त करती है तो विनियमित संस्थान 7 दिनों के भीतर या केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित अवधि के भीतर अद्यतन जानकारी सीकेवाईसीआर को उपलब्ध कराएगी, जो सीकेवाईआर में मौजूदा ग्राहक के केवाईसी रिकॉर्ड को अपडेट करेगा। इसके बाद सीकेवाईसीआर उन सभी रिपोर्टिंग संस्थाओं को इलेक्ट्रॉनिक रूप सूचित करेगा, जिन्होनें संदनधित ग्राहक के यक रिकॉर्ड के अपडेट के बारे में संबंधित ग्राहक के साथ व्यवहार किया है। रिकॉर्ड अपडेट होते ही सीकेवाईसीआर इस बारे में आरआई को सूचित करेगा। फिर आरआई केवाईसी रिकॉर्ड को अपडेट करेगा।”
इन नियमों में भी हुआ संशोधन (RBI Circular On KYC)
- पैराग्राफ 10 ग्राहक स्वीकृति नीति में बदलाव हुआ है। आईआर यूसीआईसी स्तर पर सीडीडी प्रक्रिया लागू करेंगे। यदि किसी आरआई का मौजूदा केवाईसी अनुपालन करने वाला ग्राहक दूसरा अकाउंट खोलना चाहता या फिर उसी आरआई से कोई अन्य प्रोडक्ट या सर्विस प्राप्त करना चाहता है तो ग्राहक की पहचान के संबंध में नए सीडीडी अभ्यास की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी।
- पैराग्राफ 37 के उप-पैराग्राफ ए और बी में यह “स्पष्टीकरण” कि “उच्च जोखिम वाले अकाउंट की अधिक गहन निगरानी की जानी चाहिए” लागू होता है। अब “स्पष्टीकरण” को स्थानतरित कर दिया गया है।
- बेहतर स्पष्टया प्रदान करने के लिए पैराग्राफ 38 के उप-पैराग्राफ (ए) के खंड (ii) और (iv) में “अद्यतन” वाक्यांशो को जोड़ा गया है। साथ ही उप-पैरा (सी) के खंड (iii) और (iv) में भी यह लागू होगा।
- मास्टर निर्देशों में बदलाव के बाद प्रावधानों को अब “धारा” के बजाय “पैराग्राफ” के रूप में पढ़ा जाएगा।
- केवाईसी की रिपोर्टिंग से जुड़े बदलाव भी किए गए हैं। यूपीए के लिए केन्द्रीय नोडल अधिकारी का पदनाम “अतिरिक्त सचिव” से बदलकर “संयुक्त सचिव कर दिया गया है।