चाय से बनाया करोड़ों का बिजनेस, आज 195 शहरों में है 400 आउटलेट्स, पढ़ें CSB के फाउंडर अनुभव दुबे की इंटरेस्टिंग Success Story

इस चाय की दुकान ने उनके बेटे की किस्मत को इस कदर चमकाया है कि आज वह करोड़ों का मालिक बन चुका है। तो चलिए आज हम आपको चाय सुट्टा बार (CSB) की सक्सेस इंटरेस्टिंग स्टोरी बताएंगे।

Sanjucta Pandit
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Success Story of CSB : हर माता-पिता अपने बच्चों को सही शिक्षा देते हैं, ताकि वह जीवन में आगे चलकर कुछ अच्छा कर सके। ऐसे ही एक पिता अपने बेटे के लिए कुछ सोच रखे थे कि उनका बेटा बड़ा होकर IAS बनेगा, लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था और उनके बेटे ने चाय की दुकान खोली। अब आपको यह सोचने की जरूरत नहीं है कि वह चाय की दुकान बहुत छोटी है, बल्कि इस चाय की दुकान ने उनके बेटे की किस्मत को इस कदर चमकाया है कि आज वह करोड़ों का मालिक बन चुका है। तो चलिए आज हम आपको चाय सुट्टा बार (CSB) की सक्सेस इंटरेस्टिंग स्टोरी बताएंगे।

चाय से बनाया करोड़ों का बिजनेस, आज 195 शहरों में है 400 आउटलेट्स, पढ़ें CSB के फाउंडर अनुभव दुबे की इंटरेस्टिंग Success Story

ऐसे हुई शुरूआत

दरअसल, चाय सुट्टा बार (Chai Sutta Bar) का नाम सुनते ही यह स्पष्ट होता है कि यह कोई आम चाय की दुकान नहीं है। हालांकि, यह ना तो शराब परोसने वाला बार है और ना ही सिगरेट बेचने वाली दुकान, बल्कि यह एक चाय का कैफे है जोकि इसी नाम पर काफी ज्यादा फेमस हो गया है। बता दें कि इसके पीछे दो युवा दोस्तों की कहानी है, जो महज 22-23 साल के थे, जिन्होंने मौज-मस्ती करने की उम्र में इस कैफे की स्थापना की। इनकी कंपनी ने बहुत ही कम समय में जबरदस्त सफलता हासिल की और आज यह 150 करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनी बन चुकी है।

2016 में रखी नींव

चाय सुट्टा बार की कहानी साल 2016 में शुरू हुई, जब दो बचपन के दोस्त अनुभव दुबे और आनंद ने मिलकर इस कैफे की स्थापना की। बता दें कि दोनों मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के रहने वाले है, जिन्होंने बीकॉम की पढ़ाई पूरी की थी। चुंकि, अनुभव के पिता एक बिजनेसमैन थे, लेकिन उन्होंने नहीं चाहा कि उनका बेटा भी उनके कारोबार का हिस्सा बने। इसलिए अनुभव को UPSC की तैयारी के लिए दिल्ली भेज दिया गया। अनुभव ने पहले CA की परीक्षा दी थी, लेकिन उसमें सफल नहीं हो पाए। इसके बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। हालांकि, इस दौरान उन्हें एहसास हुआ कि उनका मन नौकरी में नहीं लगता और वह केवल बिजनेस के लिए बने हैं। तब वह बिजनेस आइडियाज पर रिसर्च करना शुरू कर दिया। इसी दौरान उनकी मुलाकात उनके बचपन के दोस्त आनंद नायक से हुई। दोनों ने मिलकर एक नया बिजनेस शुरू करने का विचार किया, लेकिन उनके पास लिमिटेड फंड्स थे। बता दें कि उनके पास कुल 3 लाख रुपये थे, जो किसी बड़े बिजनेस के लिए पर्याप्त नहीं थे। बहुत सोच-विचार के बाद वह चाय के बिजनेस पर आकर टिके। उन्होंने सोचा कि चाय का कारोबार कम लागत में शुरू किया जा सकता है और यह भारतीय संस्कृति में बहुत लोकप्रिय भी है। इसके अलावा, उन्होंने सोचा कि अगर वे सही जगह पर अपना आउटलेट खोलते हैं, तो उनका व्यवसाय जल्दी से चल पड़ेगा। जिसके बाद उन्होंने साथ मिलकर चाय सुट्टा बार की शुरुआत की।

अपनाया ये आइडिया

इस योजना के तहत, उन्होंने गर्ल्स हॉस्टल के सामने अपना पहला चाय का आउटलेट खोलने का निर्णय लिया। उनकी यह सोच थी कि गर्ल्स हॉस्टल के सामने लड़कों का आना-जाना ज्यादा रहेगा, जिससे उनके आउटलेट पर ग्राहकों की संख्या बढ़ेगी। दरअसल, दोनों के पास इतने फंड नहीं थे कि वे अपनी दुकान के लिए प्रोफेशनल बोर्ड बनवा सकें। इसलिए उन्होंने लकड़ी के फट्टे पर स्प्रे पेंट से दुकान का नाम लिख दिया। वे चाहते थे कि दुकान का नाम इतना आकर्षक और अनोखा हो कि लोग इसे देखकर एक बार जरूर आएं। इसलिए उन्होंने “चाय सुट्टा बार” नाम चुना। इस नाम ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया और उनके आउटलेट पर भीड़ बढ़ने लगी। उनका यह आइडिया काम कर गया और एक स्मार्ट मूव साबित हुआ। धीरे-धीरे चाय सुट्टा बार एक बड़ी और सफल कंपनी बन गई।

कंपनी का टर्नओवर

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिर्फ उनके आउटलेट से ही उनका टर्नओवर सालाना 30 करोड़ रुपये है। अगर हम सारे स्टोर्स और आउटलेट्स को मिला दें तो यह 150 करोड़ रुपये तक पहुंच जाता है। उनके द्वारा खोले गए 400 से ज्यादा आउटलेट न केवल देशभर में, बल्कि विदेशों में भी अपनी पहुंच बनाई है। उनकी कंपनी ने हर साल 100-150 करोड़ रुपये की चाय की बिक्री की है।


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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है। पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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