1 अप्रैल से बदल जाएंगे कई नियम! जेब पर बढ़ेगा बोझ, EPF-GST पर भी दिखेगा असर

Pooja Khodani
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1 April 2022 rule change

नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। 1 अप्रैल 2022 (1 April 2022 Rule Change) से वित्त वर्ष 2021-22 की शुरुआत होगी। इसी के साथ ही कई ऐसे नियमों में बदलाव होने जा रहा है, जिसका सीधा असर आम आदमी के जीवन के साथ जेब पर भी पड़ेगा। इसमें PF के ब्याज पर टैक्स, ऑडी कारों की कीमतें, जीएसटी कानून के तहत कई कंपनियों के लिए E-invoice अनिवार्य समेत कई नियमों में बदलाव होगा।

1st April 2022 Rule Changes

ऑडी की कीमतें बढ़ेंगी

जर्मनी लग्जरी कार निर्माता ऑडी (Audi) भारत में वाहनों की कीमतों को बढ़ाने जा रही है। इसके तहत सभी वाहनों की कीमतों में 3 फीसदी तक वृद्धि होगी।नई कीमतें 1 अप्रैल, 2022 से लागू होगी।कंपनी ने बताया बढ़ते इनपुट खर्च की वजह से ऑडी अपने कारों की कीमत में वृद्धि करने जा रही है।इससे पहले नवंबर 2021 में अपने कारों की कीमत में वृद्धि की थी।बता दे कि ऑडी इंडिया के मौजूदा लाइन-अप में पेट्रोल से चलने वाली ऑडी A4, ऑडी A6, ऑडी A8 L, ऑडी Q2, ऑडी Q5 और हाल ही में लॉन्च हुई ऑडी Q7, ऑडी Q8, ऑडी S5 स्पोर्टबैक, ऑडी RS5 स्पोर्टबैक, ऑडी RS7 स्पोर्टबैक और शानदार ऑडी RS Q8 कार शामिल हैं

थर्ड पार्टी मोटर बीमा प्रीमियम में बढ़ोतरी

अप्रैल से नई कार-बाइक खरीदना महंगा हो सकता है। रोड ट्रांसपोर्ट मंत्रालय ने इंश्योरेंस रेगुलेटर (IRDAI) के साथ कंस्लटेशन कर FY 2022-23 के लिए थर्ड पार्टी मोटर इंश्योरेंस की प्रस्तावित दर का ऐलान कर दिया है। इसके बाद 1 अप्रैल से नई कार और बाइक खरीदने के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के लिए ग्राहकों को 17 से 23 प्रत‍िशत तक ज्यादा पैसे देने पड़ेगे। नई दरें 1 अप्रैल 2022 से लागू हो सकती है।

नई दरों के बाद 1500 CC तक की गाड़ी खरीदने वालों को 1200 रुपये तक ज्यादा थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के देने होंगे और 150 cc तक के टू-व्हिलर के लिए ग्राहक को 600 रुपये ज्यादा देने होंगे। चुंकी मोटर व्हिकल एक्ट के मुताबिक सड़क पर चलने वाली हर गाड़ी के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस होना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद सितंबर 2018 से बिकने वाली हर नए 4 व्हिलर के लिए 3 साल का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस और 2 व्हिलर के लिए 5 साल का जरुरी थर्ड पार्टी इंश्योरेंस गाड़ी की बिक्री के वक्त से ही अनिवार्य है।

झारखंड में तंबाकू की ब्रिकी के लिए लाइसेंस जरूरी

झारखंड के शहरी क्षेत्रों में 1 अप्रैल 2022 से बिना लाइसेंस के तंबाकू उत्पादों की बिक्री नहीं की जा सकेगी। सीएम हेमंत सोरेन के निर्देश के बाद राज्य के सभी शहरी स्थानीय निकायों में तंबाकू विक्रेताओं के लिए वेंडर लाइसेंसिंग की प्रक्रिया अनिवार्य रूप से लागू कर दी गई है। इसके तहत जिन दुकानों के पास तंबाकू उत्पाद का लाइसेंस होगा, वहां टॉफी, कैंडी, चिप्स, बिस्कुट, पेय पदार्थ या  फूड आइटम होगा तो बिक्री पर रोक रहेगी। इसका उल्लंघन करने वाले पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी। अगर 18 साल से कम उम्र के लोगों को तंबाकू उत्पाद बेचते हुए पकड़े गए, तो 7 साल कैद की सजा हो सकती है, साथ ही 1 लाख रुपये तक जुर्माना वसूला जायेगा.

झारखंड सरकार ने नये नियम झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011, सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003, खाद्य संरक्षण अधिनियम 2008 एवं किशोर न्याय बाल देखभाल और संरक्षण अधिनियम 2015 के तहत बनाये हैं। इसके तहत विभिन्न नगर निगमों, नगरपालिकाओं में तंबाकू बेचने वाले वेंडरों को लाइसेंस देने के लिए अभियान भी जारी है। लाइसेंस लेने के साथ ही दुकानदारों को नियमों के पालन को लेकर शपथ पत्र भरना होगा और तंबाकू उत्पादों के प्रचार-प्रसार पर भी रोक रहेगी। सभी शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज के दायरे में तंबाकू उत्पाद नहीं बेचे जा सकेंगे।

इन कंपनियों के लिए E-invoice होगा अनिवार्य

1 अप्रैल 2022 से वस्तु एवं सेवा कर (GST) कानून के तहत बड़ा बदलाव होने जा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब 20 करोड़ रुपये से ज्यादा के टर्नओवर वाली कंपनियों को भी बी2बी ट्रांजैक्शंस के लिए इलेक्ट्रॉनिक इनवॉयस (E-Invoice) जनरेट करना पड़ेगा। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBDT) की ओर से यह जानकारी साझा की गई है। GST कानून के तहत, 500 करोड़ रुपये से ज्यादा के टर्वओवर के साथ कंपनियों के लिए 1 अक्टूबर 2020 से बिजनेस टू बिजनेस (B2B) ट्रांजैक्शन्स के लिए E-invoice को अनिवार्य बना दिया गया था, इसे बाद में 1 जनवरी 2021 से 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के टर्नओवर वाली कंपनियों में लागू किया गया और फिर 1 अप्रैल 2021 से 50 करोड़ रुपये से ज्यादा के टर्नओवर वाली कंपनियों ने भी बी टू बी इनवॉयस जनरेट करना शुरू कर दिया और अब इसे 20 करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए भी लागू किया जा रहा है।

PF के ब्याज पर लगेगा टैक्स

केन्द्र की मोदी सरकार के फैसले के बाद अब अप्रैल से ईपीएफओ के पीएफ खाते पर टैक्स देना होगा।इससे जीपीएफ में अधिकतम टैक्स मुफ्त योगदान की सीमा 5 लाख लागू होगी। अगर इसके ऊपर कर्मचारी ने कटौती कराई तो ब्याज आय को इनकम माना जाएगा और टैक्‍स लगेगा। इसका जिक्र Form 16 में भी किया जाएगा। इसके तहत पांच लाख रुपए से ऊपर जीपीएफ कटवाने वाले सरकारी कर्मचारियों के ब्याज पर टैक्स लगेगा। कर्मचारी 1 साल में अपने प्रोविडेंट फंड अकाउंट (Provident Fund) में अधिकतम ₹500000 तक जमा कर सकता है।

इसके तहत मौजूदा PF अकाउंट्स को टैक्सेबल और नॉन-टैक्सेबल कॉन्ट्रिब्यूशन अकाउंट्स में विभाजित किया जाएगा। सालाना ₹ 2.5 लाख से ज्यादा के एंप्लाई कॉन्ट्रिब्यूशन से PF इनकम पर नया टैक्स लागू करने के लिए IT नियमों के तहत एक नई धारा 9D शामिल की गई है। नॉन-टैक्सेबल अकाउंट्स में उनका क्लोजिंग अकाउंट भी शामिल होगा, क्योंकि इसकी तारीख 31 मार्च, 2021 होती है। किसी के EPF अकाउंट में 5 लाख रुपए जमा हैं तो नए नियम के तहत 31 मार्च 2021 तक जमा रकम बिना टैक्स वाले खाते में जमा होगी।इस नए नियम के लागू होने के बाद 2.5 लाख रुपये की लिमिट का फायदा ज्यादातर PF सब्सक्राइबर्स को होगा।छोटे और मध्यम वर्ग के टैक्सपेयर्स को नए नियम से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।बडी इनकम वाले होंगे प्रभावित।


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