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Fri, Dec 19, 2025

अमेरिका-भारत ट्रेड डील से ट्रंप का मास्टरस्ट्रोक, रूस-चीन को भेजा सख्त संदेश

Written by:Vijay Choudhary
Published:
अमेरिका-भारत ट्रेड डील से ट्रंप का मास्टरस्ट्रोक, रूस-चीन को भेजा सख्त संदेश

भारत और अमेरिका के बीच एक अहम व्यापार समझौता होने की संभावना जताई जा रही है। अगर यह डील हो जाती है तो भारत को उन भारी टैक्सों से छूट मिल सकती है, जो अमेरिका 1 अगस्त से दूसरे देशों पर लगाने जा रहा है। फिलहाल भारत का एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल अमेरिका के दौरे पर है और इस समझौते को अंतिम रूप देने में जुटा है।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, यह समझौता सिर्फ व्यापार का हिस्सा नहीं है, बल्कि इसके पीछे अमेरिका की गहरी रणनीति भी छिपी है, जिसमें रूस और चीन को संदेश देना भी शामिल है।

वॉशिंगटन में बातचीत, भारत को मिल सकती है विशेष छूट

भारत की ओर से इस बातचीत का नेतृत्व वाणिज्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी राजेश अग्रवाल कर रहे हैं। अमेरिकी प्रशासन भारत को “विशेष व्यवहार” के तहत व्यापारिक छूट देने पर विचार कर रहा है। इससे भारत से अमेरिका को भेजे जाने वाले सामानों पर टैक्स कम हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर वियतनाम से आने वाले सामान पर अमेरिका 20% टैक्स लगाता है, तो भारत से आने वाले सामान पर यह टैक्स 10% या उससे भी कम हो सकता है।

1 अगस्त से बदल सकते हैं अमेरिका के टैक्स नियम

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि अमेरिका अपने आयात टैक्स के नियमों में बड़े बदलाव कर सकता है। अप्रैल 2025 में ट्रंप ने भारत से आने वाले सामान पर 26% टैक्स लगाने की बात कही थी। हालांकि, भारत को अभी तक इसकी कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है। दूसरी ओर, अमेरिका ने अन्य देशों को जो पत्र भेजे हैं, उनमें कुछ बदलाव नजर आए हैं, जिससे टैक्स को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।

उद्योग जगत को समझौते से है बड़ी उम्मीद

भारत के उद्योगपतियों और कारोबारियों को उम्मीद है कि 1 अगस्त से पहले कोई न कोई प्रारंभिक समझौता जरूर हो जाएगा। इससे वे अमेरिका के बाजार में अपने उत्पादों की बिक्री बिना ज्यादा टैक्स दिए जारी रख सकेंगे। यह समझौता इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट बाजार है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने अमेरिका को 86.51 अरब डॉलर का सामान भेजा था, जिससे भारत को 40.82 अरब डॉलर का व्यापारिक लाभ हुआ।

भारी टैक्स से भारत को हो सकता है बड़ा नुकसान

अगर अमेरिका 26% तक का टैरिफ लागू करता है, तो भारत से होने वाला एक्सपोर्ट महंगा हो जाएगा। इससे अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा घट सकती है और व्यापार घाटा बढ़ सकता है। छोटे और मध्यम उद्योगों को इससे सबसे ज्यादा नुकसान होगा। इसलिए भारत सरकार इस संभावित समझौते को लेकर गंभीर है और आखिरी वक्त तक अमेरिकी प्रशासन से छूट पाने की कोशिश में जुटी है।

क्या अमेरिका बना रहा है रणनीतिक दबाव?

सरकारी अधिकारियों का मानना है कि अमेरिका भारत को व्यापार में छूट देकर रूस के खिलाफ एक तरह का “सॉफ्ट प्रेशर” बना रहा है। अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से कम व्यापार करे, खासकर तेल और गैस के मामले में। ट्रंप और NATO महासचिव मार्क रूटे ने हाल ही में कहा था कि जो देश रूस से तेल खरीदते रहेंगे, उन्हें 100% सेकेंडरी टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है। भारत ने अब तक रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदा है, जिससे उसकी ऊर्जा सुरक्षा मजबूत हुई है। लेकिन अब अमेरिका भारत को इस व्यापार से पीछे हटाने के लिए आर्थिक छूट का लालच दे सकता है।

चीन को भी देना है कड़ा संदेश

इस समझौते के जरिए अमेरिका चीन को भी एक बड़ा संकेत देना चाहता है। अमेरिका चाहता है कि सप्लाई चेन को चीन से हटाकर भारत जैसे देशों में शिफ्ट किया जाए। भारत को टैक्स में राहत देना उसी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। भारत को अमेरिका एक मजबूत लोकतांत्रिक साझेदार और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन का मुकाबला करने वाला अहम देश मानता है। इसलिए अमेरिका चाहता है कि भारत उसके साथ मिलकर चीन और रूस जैसी ताकतों को संतुलित करे।