Success Story of MobiKwik : सफलता की राह में कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है। बिना परिश्रम के किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ना मुश्किल है। कठिनाइयों के बावजूद अगर आप अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहते हैं, तो यकीन मानिए सफलता अवश्य मिलेगी। कई बार सफलता की राह में कई बार सख्त फैसले लेने पड़ते हैं। बिना रिस्क लिए बड़ी सफलता पाना मुश्किल है। ऐसा ही एक रिस्क MobiKwik की सीईओ उपासना टाकू ने लिया। शुरूआत तो काफी कठिन रहा, लेकिन आज वो किसी की पहचान को मोहताज नहीं है। साथ ही सक्सेसफुल महिलाओं की लिस्ट में शामिल हैं। आइए पढ़ते हैं उनकी दिलचस्प सक्सेस स्टोरी…
उठाया साहसिक कदम
उपासना टाकू अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद लगभग 17 वर्षों तक अमेरिका में विभिन्न कंपनियों में काम किया। उन्होंने अपनी काबिलियत और मेहनत से एक अच्छा करियर बनाया, लेकिन उनका सपना अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने का था। इसके लिए उन्होंने एक बड़ा निर्णय लिया और भारत वापस लौटने का साहसिक कदम उठाया। हालांकि, उपासना का परिवार इस निर्णय से सहमत नहीं थे और खुश भी नहीं थे। उनका कहना था कि अमेरिका में सफल करियर को छोड़कर भारत में नया बिजनेस शुरू करना बहुत जोखिम भरा है, लेकिन उपासना अपने फैसले पर अडिग रही और भारत आकर MobiKwik की स्थापना की। उनकी मेहनत और समर्पण ने MobiKwik को सफलता की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। आज MobiKwik फेमस डिजिटल वॉलेट और पेमेंट कंपनी है।
PTU से की पढ़ाई
बता दें कि उपासना ने पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी (PTU) से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। जिसके बाद उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट साइंस और इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने PayPal में प्रोडक्ट मैनेजर के रूप में काम किया। यहां उन्होंने फिनटेक और पेमेंट इंडस्ट्री का के बारे में जानकारी हासिल की। इसके अलावा, उन्होंने HSBC कंपनी में भी काम किया। जिसके बाद वह अमेरिका चली गई, जहां 18 साल बाद 2008 में वापस इंडिया लौटीं। इस बिजनेस ने उनकी पूरी दुनिया बदलकर रख दी। आज हर कोई उन्हें जानता है।
करोड़ों में टर्नओवर
2008 में भारत लौटने के बाद उपासना की मुलाकात बिपिन प्रीत सिंह से हुई। बिपिन ने MobiKwik के लिए एक बिजनेस कांसेप्ट तैयार किया था, लेकिन वह अपनी नौकरी छोड़कर इसे शुरू करने के लिए तैयार नहीं थे। तब उपासना ने उनका साथ दिया और दोनों ने मिलकर 2009 में MobiKwik की स्थापना की। शुरुआती दिनों में कंपनी को स्थापित करने के लिए दोनों को काफी मेहनत और संघर्ष करना पड़ा, लेकिन उनके कठिन परिश्रम ने उन्हें सफलता दिलाई। आज MobiKwik भारत की फिनटेक इंडस्ट्री में एक बड़ा नाम है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी का टर्नओवर करीब 8 हजार करोड़ रुपये है। आज इस कंपनी में बहुत सारे लोग जुड़े हैं और अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं।