Success Story : परिस्थितियां चाहे कितनी भी विपरीत क्यों न हों, अगर इंसान के पास दृढ़ संकल्प और मेहनत करने की लगन हो, तो वह किसी भी मुश्किल को पार कर सकता है। ऐसे में उस इंसान के साथ पूरी कायनात मिल जाती है। ऐसा ही कुछ कमाल कर दिखाया है राजस्थान में रहने वाले हेमंत ने, जिसने UPSC जैसी चुनौतीपूर्ण परीक्षा में सफलता प्राप्त की। बता दें कि यह उनकी मेहनत, धैर्य और आत्मविश्वास का परिणाम है, जो उन्हें मिला है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि सही दिशा में प्रयास और मजबूत इच्छाशक्ति के बल पर किसी भी सपने को साकार किया जा सकता है।
दिन-रात किया एक
जैसा कि हम सभी जानते हैं UPSC परीक्षा की तैयारी करना अपने आप में एक बड़ा चैलेंज है। UPSC परीक्षा जिसे देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। इसमें सफलता हासिल करना कोई आसान बात नहीं है। इसके लिए अध्ययन, सही रणनीति और फोकस बेहद आवश्यक होता है। इसके क्लियर करने के लिए स्टूडेंट्स दिन-रात एक कर देते हैं। साथ ही इसकी कोचिंग भी लेते हैं, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि साल 2023 की UPSC परीक्षा में बिना किसी कोचिंग के 884वीं रैंक हासिल की और अपने परिवार का नाम रोशन किया है। हेमंत ने बिना कोचिंग के यह मुकाम हासिल कर यह सिद्ध कर दिया कि सुख-सुविधाओं की कमी भी मजबूत इरादों को नहीं डिगा सकती है। आज वह बहुत से युवाओं के लिए प्रेरणा के स्त्रोत बन चुके हैं।
ऐसे किया निश्चय
बता दें कि हेमंत का जन्म मीडिल क्लास फैमिली में हुआ है। उनके पिता एक स्थानीय पुजारी हैं और उनकी मां मनरेगा योजना के तहत दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करती हैं। हेमंत की प्रेरणा तब शुरू हुई जब उन्होंने अपनी मां को एक मनरेगा अधिकारी से अपनी मजदूरी के लिए लड़ते देखा। उसी क्षण ने उनके मन में जिला मजिस्ट्रेट बनने की इच्छा जगी। इसके लिए उन्होंने सबसे पहले कलेक्टर बनने का तरीका सबसे पूछा। फिर उन्होंने UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का निर्णय लिया। हालांकि, पैसों की कमी के कारण वह कोचिंग नहीं कर पाए, लेकिन बिना किसी कोचिंग के हेमंत ने 884वीं रैंक हासिल की।
हनुमानगढ़ में हुआ जन्म
राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के बीरेन गांव से ताल्लुक रखने वाले हेमंत ने कठिन परिस्थितियों के बावजूद अपने सपने को साकार किया। उनकी यूपीएससी यात्रा कॉलेज के दिनों में शुरू हुई थी। पहले प्रयास में उन्होंने प्रीलिम्स पास कर लिया था, लेकिन मुख्य परीक्षा में योग्यता की कमी के कारण सफल नहीं हो सके। हालांकि, यह अनुभव उनके लिए चुनौतीपूर्ण था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और निरंतर प्रयास करते गए। दरअसल, उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हिंदी माध्यम से की। जिसके बाद डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन में एडमिशन लिया। जिसमें वह अंग्रेजी विषय में फेल हो गए। जिस कारण उनकी पढ़ाई अधूरी रह गई, जिससे उन्हें बड़ा झटका लगा। हालांकि, हेमंत ने अपने दोस्तों से प्रेरणा ली और जोबनेर में एसकेएन कृषि विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की।