जब दोस्त कहने लगे ‘ अंबानी हो या भिखारी? ‘, जानिए कैसे मुकेश और नीता की परवरिश ने बच्चो को बना दिया मिट्टी से सोना!

मुकेश अंबानी की फैमिली के पास अरबों रूपये होने के बावजूद, नीता अंबानी ने बच्चों को सिर्फ 5 रुपये पॉकेट मनी दी। सादगी से जीना, मेहनत और जिम्मेदारी की अहमियत समझाना इस परवरिश का मकसद था। आज आकाश, ईशा और अनंत अरबों के प्रोजेक्ट्स संभाल रहे हैं, लेकिन उनकी सोच आज भी जमीन से जुड़ी है।

मुकेश अंबानी और नीता अंबानी की दौलत भले ही अरबों में हो, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों आकाश, ईशा, और अनंत को सादगी से पाला। बचपन में तीनों को हफ्ते में सिर्फ 5 रुपये पॉकेट मनी मिलती थी, जो स्कूल कैंटीन में छोटी-मोटी चीजों के लिए थी। नीता ने एक बार बताया कि वो चाहती थीं कि बच्चे पैसे की वैल्यू समझें। एक मजेदार किस्सा है

जब अनंत ने 10 रुपये माँगे, क्योंकि स्कूल में दोस्त उनके 5 रुपये के सिक्के का मजाक उड़ाते थे, कहते थे, “अंबानी हो या भिखारी?” मुकेश और नीता इस पर खूब हँसे, लेकिन पॉलिसी नहीं बदली। नीता, जो खुद मध्यमवर्गीय बैकग्राउंड से हैं, ने बच्चों को बस और पब्लिक ट्रांसपोर्ट यूज करना सिखाया। ये सादगी भरी परवरिश बच्चों को जिम्मेदारी और मेहनत की अहमियत समझाने के लिए थी। आज आकाश और ईशा रिलायंस के टेलिकॉम और रिटेल बिजनेस में बड़े रोल निभाते हैं, जबकि अनंत एनर्जी और एनिमल वेलफेयर प्रोजेक्ट्स संभालते हैं। उनकी कामयाबी में इस परवरिश का बड़ा हाथ है। ये छोटी सी पॉकेट मनी बच्चों को बड़े सबक सिखाने का जरिया थी।

5 रुपये से बड़ी सीख

पॉकेट मनी सुनकर शायद आपको हँसी आए, लेकिन यही वो सबक था जिसने अंबानी बच्चों को जमीनी बनाए रखा। नीता अंबानी ने बच्चों को सिखाया कि पैसा मेहनत से कमाया जाता है। अनंत का वो किस्सा, जहां दोस्तों ने उनका मजाक उड़ाया, दिखाता है कि अंबानी बच्चे भी आम बच्चों जैसे थे। स्कूल में वो कैंटीन में 5 रुपये से चिप्स या वेफर्स लेते थे। नीता की सख्ती थी कि बच्चे अपनी जरूरतें खुद मैनेज करें। इस आदत ने आकाश, ईशनी और अनंत को फिजूलखर्ची से दूर रखा। आज वो रिलायंस के बिलियन-डॉलर प्रोजेक्ट्स संभालते हैं, लेकिन उनकी सादगी और मेहनत उनकी परवरिश की देन है।

सादगी भरी परवरिश का असर

मुकेश और नीता ने बच्चों को सिर्फ पॉकेट मनी ही नहीं, बल्कि मेहनत और जिम्मेदारी की वैल्यूज दीं। नीता की मिडिल-क्लास वैल्यूज और मुकेश की बिजनेस समझ ने बच्चों को बड़े सपनों के साथ-साथ जमीनी सोच दी। स्कूल टाइम में बच्चों को लग्जरी कार्स की जगह बस यूज करने की इजाजत थी। ये अनुशासन उनकी कामयाबी की बुनियाद बना। आज आकाश Jio को लीड करता है, ईशा रिलायंस रिटेल की स्टार हैं, और अनंत की Vantara जैसी पहल वर्ल्ड फेमस है। 5 रुपये की पॉकेट मनी से शुरू हुआ उनका सफर अब बिजनेस की ऊँचाइयों पर है। आपको क्या लगता है, ऐसी परवरिश आज के बच्चों के लिए काम कर सकती है?

 


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Ronak Namdev

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मैं रौनक नामदेव, एक लेखक जो अपनी कलम से विचारों को साकार करता है। मुझे लगता है कि शब्दों में वो जादू है जो समाज को बदल सकता है, और यही मेरा मकसद है - सही बात को सही ढंग से लोगों तक पहुँचाना। मैंने अपनी शिक्षा DCA, BCA और MCA मे पुर्ण की है, तो तकनीक मेरा आधार है और लेखन मेरा जुनून हैं । मेरे लिए हर कहानी, हर विचार एक मौका है दुनिया को कुछ नया देने का ।

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