मुकेश अंबानी की रिलायंस 4IR रियल्टी डिवेलपमेंट ने ट्रंप ऑर्गनाइजेशन को ट्रंप नाम इस्तेमाल करने के लिए 10 मिलियन डॉलर का भुगतान किया है। यह भुगतान मुंबई के किसी प्रोजेक्ट के लिए हुआ है, लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह किस योजना से जुड़ा है। इस करार के बाद ट्रंप की कंपनी को 2024 से अब तक 44.6 मिलियन डॉलर विदेशी फीस के रूप में मिल चुके हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप ऑर्गनाइजेशन को भारत समेत वियतनाम, सऊदी अरब और दुबई जैसे देशों से बड़ी मात्रा में विदेशी लाइसेंसिंग फीस मिली है। यह राशि 2023 और 2022 की तुलना में कहीं अधिक है। ट्रंप के पहले कार्यकाल में कंपनी ने विदेशी डील से दूरी बनाई थी, लेकिन इस बार उन्होंने खुलकर वैश्विक विस्तार को प्राथमिकता दी है। विशेषज्ञ इसे संभावित हितों के टकराव के रूप में देख रहे हैं, क्योंकि यह अमेरिकी राष्ट्रपति के पद के साथ उनके निजी व्यावसायिक लाभ को भी जोड़ता है।

रिलायंस की भूमिका और संभावित प्रोजेक्ट पर रहस्य
रिलायंस 4IR रियल्टी डिवेलपमेंट द्वारा दी गई राशि को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह डील मुंबई के किस रियल एस्टेट प्रोजेक्ट से जुड़ी है। कंपनी की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे अटकलें और तेज़ हो गई हैं। यह पहली बार है जब अंबानी ट्रंप ब्रांड के साथ सीधी रियल एस्टेट डील में जुड़े हैं। इससे पहले रिलायंस ने कभी किसी विदेशी राष्ट्रपति के निजी बिज़नेस से इस तरह की साझेदारी नहीं की थी। माना जा रहा है कि यह करार भारत में लग्जरी प्रॉपर्टी डिवेलपमेंट के नए दौर की शुरुआत कर सकता है, लेकिन इसमें राजनीतिक पेचीदगियां भी जुड़ गई हैं।
ट्रंप ऑर्गनाइजेशन की रणनीति में बदलाव और बढ़ते सवाल
डोनाल्ड ट्रंप जूनियर ने मई में एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में खुलकर कहा था कि इस बार कंपनी केवल विदेशी सरकारों के साथ सीधे करार नहीं करेगी, लेकिन अन्य डील्स को रोका नहीं जाएगा। यह बयान ऐसे समय आया है जब ट्रंप राष्ट्रपति पद पर रहते हुए अपने बिज़नेस विस्तार को लेकर आलोचना झेल रहे हैं। पिछली बार उन्होंने विदेशी डील्स पर रोक लगाई थी, लेकिन अब उन्होंने अपनी रणनीति बदल ली है। इससे यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या राष्ट्रपति पद का प्रभाव निजी फायदे के लिए इस्तेमाल हो रहा है। डेमोक्रेटिक नेताओं और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इस डील की निष्पक्षता पर संदेह जताया है।