मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज़ को कई बिजनेस में सफलता मिली, लेकिन कुछ प्रोजेक्ट्स फेल हो गए। रिलायंस टाइमआउट, रिलायंस ट्रेंड्स और रिलायंस हेल्थ इंश्योरेंस में कंपनी को नुकसान हुआ। ये कारोबार मार्केट में टिक नहीं पाए। रिलायंस ने इन्हें बंद करना पड़ा।
मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज़ भारत की सबसे बड़ी कंपनी है, लेकिन कुछ बिजनेस में उन्हें असफलता मिली। रिलायंस टाइमआउट, जो किताबें, म्यूजिक और स्टेशनरी बेचता था, को बंद करना पड़ा। रिलायंस ट्रेंड्स में भी कपड़ों के कारोबार में नुकसान हुआ। रिलायंस हेल्थ इंश्योरेंस को भी 2018 में शुरू होने के बाद बंद करना पड़ा। ये प्रोजेक्ट्स मार्केट में टिक नहीं पाए और रिलायंस को अच्छा खासा नुकसान उठाना पड़ा।

रिलायंस टाइमआउट और रिलायंस ट्रेंड्स की असफलता
रिलायंस टाइमआउट एक रिटेल चेन थी, जो किताबें, म्यूजिक सीडी, खिलौने और स्टेशनरी बेचती थी। 2008 में शुरू होने के बाद इसे 2012 तक बंद करना पड़ा। ऑनलाइन शॉपिंग की बढ़ती लोकप्रियता और ग्राहकों की कमी ने इसे खत्म कर दिया। दूसरी तरफ, रिलायंस ट्रेंड्स कपड़ों का बिजनेस था, जो मिड-मार्केट में काम करता था। 1,234 करोड़ की सेल्स पर इसे 11.35 करोड़ का नुकसान हुआ। बिग बाज़ार, मैक्स जैसे बड़े रिटेलर्स से मुकाबला नहीं कर पाया। मिडिल-क्लास ग्राहकों को लुभाने में भी यह फेल रहा। रिलायंस ने इन दोनों प्रोजेक्ट्स को बंद कर दिया, क्योंकि ये लंबे समय तक नुकसान दे रहे थे।
रिलायंस हेल्थ इंश्योरेंस और अन्य असफल प्रोजेक्ट्स
रिलायंस हेल्थ इंश्योरेंस 2018 में शुरू हुआ, लेकिन 2020 तक इसे बंद करना पड़ा। रेगुलेटर ने इसके पॉलिसीहोल्डर्स और फाइनेंशियल एसेट्स को रिलायंस जनरल इंश्योरेंस में ट्रांसफर करने का आदेश दिया। मार्केट में बढ़ते कॉम्पिटिशन और फाइनेंशियल दिक्कतों की वजह से यह प्रोजेक्ट फेल हो गया। इसके अलावा, रिलायंस गैस भी एक असफल प्रोजेक्ट था। 1998 में शुरू हुआ यह बिजनेस पैकेज्ड LPG सिलेंडर बेचता था, लेकिन मार्केट में जगह नहीं बना पाया। रिलायंस फ्रेश में भी शुरुआती नुकसान हुआ, हालाँकि बाद में इसे रिलायंस रिटेल के तहत ठीक किया गया। ये असफलताएँ दिखाती हैं कि बड़ी कंपनी होने के बावजूद रिलायंस को मार्केट की चुनौतियों का सामना करना पड़ा।