Narayanan Vagul: बैंकिंग दुनिया के प्रमुख व्यक्तित्व और आईसीआईसीआई (ICICI) के संस्थापक, 88 वर्षीय नारायणन वाघुल का निधन हो गया है। दरअसल पिछले कुछ दिनों से बीमार होने के चलते चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा था जानकारी के अनुसार उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। जानकारी के मुताबिक उनके परिवार में पत्नी पद्मा वाघुल, बच्चे मोहन और सुधा, और पोते संजय, काव्या, अनुव और संतोष शामिल हैं। वहीं आपको बता दें कि नारायणन वाघुल का जन्म 1936 में दक्षिण भारत के एक ग्रामीण इलाके में हुआ था। उन्होंने बैंकिंग की दुनिया में एक बड़ा नाम कमाया है।
बैंकिंग सेक्टर में प्रवेश कैसे हुआ?
दरअसल नारायणन वाघुल का परिवार गांव से चेन्नई आकर बस गया, जहां उन्होंने लोयोला कॉलेज से अपनी उच्च शिक्षा पूरी की। आपको बता दें कि बैंकिंग क्षेत्र कभी भी उनके करियर की प्राथमिकताओं में नहीं था। वे सिविल सर्विसेस में जाना चाहते थे। हालांकि, सिविल सेवाओं में सफल न होने पर, उन्होंने अपने पिता के कहने पर एसबीआई की प्रवेश परीक्षा दी और सफल हुए। 1955 में एसबीआई में शामिल होकर उन्होंने अपने बैंकिंग करियर की शुरुआत की, और इसके लिए वे अपने पिता को श्रेय देते थे।
बैंकिंग क्षेत्र में कई उपलब्धियां:
जानकारी के अनुसार नारायणन वाघुल ने अपने बैंकिंग करियर की शुरुआत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से की थी, जहां उनके प्रभावशाली काम के कारण उन्हें लगातार प्रमोशन मिलते रहे थे। 44 साल की उम्र में, उन्हें बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन बनने का अवसर मिला, जहां उन्होंने कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कीं। इस युवा उम्र में किसी सरकारी बैंक के चेयरमैन बनने वाले वे पहले व्यक्ति थे। हालांकि, बढ़ते नौकरशाही हस्तक्षेप से परेशान होकर उन्होंने एक समय बैंकिंग सेक्टर छोड़ने का भी मन बना लिया था, जिससे सभी हैरान रह गए।
आईसीआईसीआई बैंक की सफलता में बड़ा हाथ:
दरअसल 1981 से 1985 के बीच, नारायणन वाघुल ने आईसीआईसीआई लिमिटेड को अध्यक्ष और सीईओ के रूप में नेतृत्व प्रदान किया। उनके नेतृत्व में, एक विकास बैंक के रूप में शुरू हुआ आईसीआईसीआई लिमिटेड देश के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के वाणिज्यिक बैंकों में से एक बन गया। 1991 में उनके नेतृत्व में आर्थिक उदारीकरण ने नए आयाम छुए। उनकी रणनीतियों की बदौलत आईसीआईसीआई बैंक ने आज जो सफलता हासिल की है, वह उसी का परिणाम है। नारायणन वाघुल की विरासत बैंकिंग की दुनिया में हमेशा जीवित रहेगी और उनकी उपलब्धियां प्रेरणा स्रोत बनी रहेंगी।