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Fri, Dec 19, 2025

भारत में दर्द की दवाओं का बाजार तेजी से बढ़ा, हर हफ्ते लॉन्च हो रहे नए ब्रांड

Written by:Vijay Choudhary
Published:
भारत में दर्द की दवाओं का बाजार तेजी से बढ़ा, हर हफ्ते लॉन्च हो रहे नए ब्रांड

भारत में अब लोग सिर दर्द, बदन दर्द या मांसपेशियों में खिंचाव जैसे दर्द के लिए तुरंत दवा या क्रीम का सहारा लेने लगे हैं। यही वजह है कि भारत का पेन रिलीफ मार्केट 16,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। वोलिनी, ओमनीगेल, डोलो और सेरिडॉन जैसे ब्रांड अब लगभग हर घर में देखे जा सकते हैं। पेन किलर टैबलेट, स्प्रे और मलहम अब लोगों की दिनचर्या का हिस्सा बन चुके हैं।

कोरोना के बाद हर हफ्ते लॉन्च हो रहे नए ब्रांड

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि कोरोना महामारी के बाद हर हफ्ते औसतन 5 नए दर्द निवारक ब्रांड बाजार में आ रहे हैं। साल 2020 में जहां इन ब्रांड्स की संख्या 1,552 थी, वहीं 2025 में यह आंकड़ा 2,771 तक पहुंच गया है। इसका मतलब है कि हर महीने लगभग 20 से ज्यादा ब्रांड भारत में लॉन्च हो रहे हैं। नीलसन की रिपोर्ट बताती है कि यह बाजार बिना डॉक्टर की पर्ची वाली दवाओं (OTC) में सबसे तेजी से बढ़ने वाला सेक्टर बन चुका है।

तेजी से बढ़ रहा है कारोबार, 5 साल में दोगुना

कोविड के बाद से जिम जाने वालों, बुजुर्गों और ऑफिस में लंबे समय तक काम करने वालों में मांसपेशियों के दर्द की शिकायतें बढ़ी हैं। इसी कारण एनाल्जेसिक (दर्द से राहत देने वाली दवाएं) और रूबेफेसिएंट्स (त्वचा पर लगाने वाली दवाएं) की मांग भी तेजी से बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक, मई 2020 में इन दवाओं का बाजार 6,820 करोड़ रुपये का था, जो मई 2025 में 15,905 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यानी इस सेक्टर में हर साल करीब 18% की दर से बढ़ोतरी हुई है। एनाल्जेसिक दवाएं इस पूरे बाजार का 75% हिस्सा अकेले संभाल रही हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी

हालांकि, हेल्थ एक्सपर्ट बार-बार चेतावनी दे रहे हैं कि जरूरत से ज्यादा दर्द निवारक दवाएं लेना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। सिप्ला हेल्थ के मैनेजिंग डायरेक्टर का कहना है कि लोग अब दर्द से जल्दी राहत को प्राथमिकता दे रहे हैं, लेकिन कई बार इसके लिए दवा का ज्यादा इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है। बायर फार्मा के सीनियर अधिकारी संदीप वर्मा का कहना है कि भारत में अब भी कई लोग पेन किलर को कमजोरी की निशानी मानते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि छोटे-छोटे दर्द भी हमारी काम करने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।