Thu, Dec 25, 2025

एक समय दुनिया में वेस्ट सेलिंग बिस्किट बन गया था Parle G, आज भी कायम है इसका जलवा, पढ़ें दिलचस्प Success Story

Written by:Sanjucta Pandit
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कैंडी से शुरु होने वाली इस कंपनी ने बिस्किट इंडस्ट्री में इतनी बड़ी पहचान आसानी से नहीं बनाई है, बल्कि इसके लिए बहुत लोगों का संघर्ष और मेहनत लगा है।
एक समय दुनिया में वेस्ट सेलिंग बिस्किट बन गया था Parle G, आज भी कायम है इसका जलवा, पढ़ें दिलचस्प Success Story

Parle G Success Story : हम सभी ने जन्म लेने के बाद जब से होश संभाला है, तब से ही पार्ले-जी बिस्कुट का नाम सुनते आ रहे हैं, जो मात्र 5 रुपये में मिलता है। इसे खाने के बाद काफी समय तक भूख नहीं लगती। बच्चों से लेकर बुजूर्गों तक हर किसी के जुबान पर आपको बस एक ही नाम सुनने को मिलेगा। इस कंपनी ने आजादी से पहले ही मार्केट में अपनी पकड़ अच्छी बना ली थी। आज भी जब बिस्किट का नाम लिया जाता है, तो सबसे पहले जुबान पर पार्ले-जी का नाम ही लिया जाता है। भले ही अब मार्केट में बहुत सी बड़ी-बड़ी कंपनियां आ चुकी हैं, लेकिन पार्ले जी को अभी भी टक्कर देने वाला कोई नहीं है। कैंडी से शुरु होने वाली इस कंपनी ने बिस्किट इंडस्ट्री में इतनी बड़ी पहचान आसानी से नहीं बनाई है, बल्कि इसके लिए बहुत लोगों का संघर्ष और मेहनत लगा है। भले ही समय के साथ इसके पैकेजिंग में बदलाव आया है, लेकिन स्वाद में यह जैसे का तैसा ही है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको पार्ले-जी की सक्सेस स्टोरी बताते हैं, जो काफी दिलचस्प भरा है।

1929 में हुई शुरू

PARLE G भारतीय खाद्य उद्योग की एक प्रमुख कंपनी है जो बिस्कुट्स और अन्य स्नैक्स प्रोडक्ट्स का निर्माण करती है। बता दें कि यह कंपनी 1929 में ब्रिटिश भारत के मुंबई में मोहनलाल डयल द्वारा स्थापित की गई थी। उस समय यह बहुत छोटा सा कारखाना था, लेकिन अब यह बड़ी मात्रा में बिस्कुट्स उत्पादित करने वाली भारतीय कंपनियों में से एक है। PARLE G ने पूरे विश्व में अपनी एक अगल पहचान बनाई है। दरअसल, पार्ले-जी का नाम पार्ले से आया है। मोहनलाल दयाल ने पहले कैंडी कंपनी बनाई थी लेकिन बाद में इसे उन्होंने बिस्किट कंपनी बनाने का निर्णय लिया जोकि व्यवसायिक दृष्टि का परिणाम था। उन्होंने देशवासियों के लिए अफ़ोर्डेबल बिस्किट्स तैयार करने के लिए कड़ी मेहनत की और आज हर किसी के साथ भावनात्म तौर पर जुड़ गए हैं।

गुणवत्ता पर ध्यान

मोहनलाल दयाल के विचार ने न केवल सफलता पाई, बल्कि उन्होंने देश में सामाजिक परिवर्तन भी किया। उनका निर्णय स्वदेशी आंदोलन के समय में आया और उन्होंने साबित किया कि भारतीय उद्योगी भी अच्छा प्रोडक्ट बना सकते हैं। इसलिए उन्होंने बिस्किट की ऐसी प्राइस रखी, जिसे गरीब और अमीर दोनों ही वर्ग के लोग खरीद सकते हैं। इसके बाद यह लोगों के बीच काफी लोकप्रिय भी हो गया। इसके पैकेट में एक बच्चे की तस्वीर नजर आती है जो आज भी देखने को मिलती है। वहीं, प्रतिस्पर्धा आने के बाद बाजार और भी रोमांचित बन गया। बता दें कि पार्ले-जी ने इस मुकाबले में अपनी विशेषता और गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित किया। जिस कारण वह आज भी लोगों के दिलों में जगह बनाए हुए है।

लोगों की पहली पसंद

बता दें कि पार्ले-जी बिस्किट पिछले कई दशकों से ₹5 में ही बिक रहा है। भले ही कंपनी ने पैकेट का साइज घटा दिया हो, लेकिन 25 सालों से इसका दाम ₹5 ही है। पहले पैकेट 100 ग्राम का था, तो वहीं आज यह 55 ग्राम का हो गया है। इतने दिनों से बाजार में स्थायित्व बनाए रखना बहुत बड़ी बात है। आज भी यह प्रोडक्ट लोगों की पहली पसंद बना हुआ है।

कंपनी का रेवेन्यू

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2018 से 2020 तक पार्ले-जी के 8000 करोड रुपए के बिस्किट सेल हुए थे। वहीं, साल 2013 में यह पहला FMCG ब्रांड बना था, जिसने खुदरा बाजार में 5000 करोड रुपए की बिक्री की थी। हालांकि, अब पारले-जी कंपनी तीन अलग-अलग हिस्से में बट चुकी है। कंपनी के सभी प्रोडक्ट्स को मार्केट में अच्छा रिस्पांस मिला है। बता दें कि वर्तमान में इस कंपनी के साथ 50 हजार से अधिक लोग जुड़े हुए हैं। कंपनी 17000 करोड रुपए से भी अधिक का रेवेन्यू जेनरेट कर चुकी है। देशभर में करीब 30 लाख से अधिक रिटेल स्टोर्स तक इसकी पहुंच है।