बॉम्बे हाई कोर्ट ने आज स्पष्ट किया कि रतन टाटा की वसीयत में जिन शेयरों की कोई खास ज़िक्र नहीं है, वे उनकी ‘रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन’ और ‘रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट’ को बराबर हिस्से में मिलेंगे। इससे उनकी सौतेली बहनों और नज़दीकी दत्तक पुत्र की हिस्सेदारी तय नहीं हो सकी। कोर्ट की यह व्याख्या उनकी लिखित इच्छाओं के अनुरूप है।
कोर्ट ने यह भी समझाया कि फोर्थ कोडीसिल (अधिमंडल) में वसीयत के उस हिस्से को बदल दिया गया था, जिसमें अवशेष संपत्ति यानी जिन शेयरों पर पहले कोई फैसला नहीं था, का बंटवारा दो चैरिटेबल ट्रस्ट्स को किया गया था। इस कदम ने पहले की वसीयत की उस धारणा को प्राथमिकता दी जहाँ शेयरों की भविष्य में बेची न जा सकने वाली शर्त थी। अब सारी अस्पष्ट कंपनी शेयर फाउंडेशन के खाते में ही जाएंगे। इससे स्पष्टता मिली है और भविष्य में किसी विवाद की गुंजाइश खत्म हुई है।
कोर्ट ने क्या साफ कहा?
बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस मनीष पीतले ने 23 जून 2025 को सुनवाई में रतन टाटा की वसीयत व चार कोडीसिल में साफ़ी से यह लिखा कि “मृतक के ऐसे लिस्टेड और अनलिस्टेड शेयर, जिनका ज़िक्र वसीयत के किसी और हिस्से में खास तौर पर नहीं किया गया है, वे उसकी बाकी बची संपत्ति का हिस्सा माने जाएंगे और वे पूरी तरह से रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन और रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट को बराबर-बराबर हिस्से में दिए जाएंगे”.
The Bombay High Court recently held that the shares owned by the late industrialist Ratan Tata (both listed and unlisted shares), which were not specifically distributed in his will, would be inherited equally by the Ratan Tata Endowment Foundation and the Ratan Tata Endowment… pic.twitter.com/15qz7uYWKM
— Bar and Bench (@barandbench) June 23, 2025
इससे स्पष्ट हो गया है कि जो हिस्से पहले किसी को नाम से नहीं बांटे गए थे, वे दोनों फाउंडेशन को 50‑50 हिस्सों में मिलेंगे। इससे किसी सात्विक विवाद की गुंजाइश खत्म होती है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह बदलाव फाउंडेशन के चैरिटेबल उद्देश्य को ध्यान में रखकर किया गया, और वसीयत की प्राथमिक शर्तों को वे ही जारी रखेंगे।
सौतेली बहनें-मोहिनी दत्ता का क्या हाल?
इस फैसले से रतन टाटा की सौतेली बहनें (शिरीन और डिअना जेेजेबहॉय) और उनका दत्तक पुत्र मोहिनी मोहन दत्ता प्रभावित हुए। शुरुआती राज्यों में उन्हें अवशेष संपत्ति में हिस्सा मिलने की उम्मीद थी, लेकिन फोर्थ कोडीसिल ने उनको इस शेयर हिस्सेदारी से बाहर कर दिया। हालांकि, मोहिनी दत्ता को वसीयत में एक तिहाई वसीयत‑बची संपत्ति देने का भी जिक्र है जिसकी वैल्यू लगभग ₹588 करोड़ बताई जा रही है और उन्होंने इस पर सहमति भी दी है । कोर्ट के इस निर्णय से अब उनके दावों को भी सीमित किया गया है और अब वे सिर्फ उस तय पूंजी पर दावा कर सकेंगे, न कि किसी अनिश्चित शेयर हिस्सेदारी पर।





