भारतीय रिजर्व बैंक ने तीन बैंकों के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। महाराष्ट्र के दो नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों पर भी कार्रवाई की गई है। भारी मौद्रिक जुर्माना लगाया है। इस संबंध में बैंक और एनबीएफसी को आदेश भी जारी कर दिया गया है। सूची में शामिल ये बैंक नोएडा, श्रीनगर और पंजाब में स्थित हैं। नियमों का उल्लंघन होने पर RBI ने यह कदम उठाया है। इंस्पेशन के दौरान इसका खुलासा हुआ था।
श्रीनगर में स्थित दि जम्मू एंड कश्मीर स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। नोएडा में स्थित है दि सिटिजन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर 6 लाख रुपये और दि भटिंडा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर 3 लाख रुपये का जुर्माना आरबीआई ने लगाया है। किसी ने केवाईसी तो किसी ने अनक्लेम्ड अमाउंट से संबंधित नियमों का उल्लंघन किया है।

बैंकों ने किया इन नियमों का उल्लंघन
दि जम्मू एंड कश्मीर स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड खाता-आधारित संबंध स्थापित करते समय अपने ग्राहकों आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज प्राप्त नहीं कर पाया। दि सिटिजन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड यह सुनिश्चित करने में विफल रहा कि किसी व्यक्ति द्वारा अपने रिश्तेदारों के साथ अनुमति सीमा से अधिक शेयर जारी करने या आवंटित करने से पहले आरबीआई की पूर्व अनुमति प्राप्त की गई थी या नहीं। इतना ही नहीं संदिग्ध लेनदेन की पहचान करने के लिए अलर्ट देने वाले मजबूत सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल भी नहीं कर पाया। दि भटिंडा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड निर्धारित समय के भीतर जमाकर्ता और शिक्षा जागरूकता कोष में पत्र अनक्लेमड अमाउंट को ट्रांसफर नहीं कर पाया।
इन कंपनियों पर चला आरबीआई का डंडा
महाराष्ट्र के मुंबई में स्थित इंडिया होम लोन लिमिटेड 32000 रुपये का जुर्माना लगा है। कंपनी खातों के जोखिम वर्गीकरण की समीक्षा करने में विफल रहा है, जो महीने में कम से कम एक बार होना चाहिए था। इसके अलावा ग्राहकों के केवाईसी का आवधिक अपडेडेशन भी नहीं कर पाया। खुश हाउसिंग फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड पर 16000 रुपये का जुर्माना लगाया है। कंपनी अपने ग्राहकों का जोखिम वर्गीकरण नहीं कर पाई।
मई में कई बैंकों के खिलाफ हुई कार्रवाई
मई में आरबीआई कई बैंकों के खिलाफ कार्रवाई कर चुका है। 19 बैंकों पर पेनल्टी लगा चुका है। वहीं एक बैंक का लाइसेंस भी रद्द किया गया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के एक्शन का सिलसिला जून में भी जारी है। हालांकि इसका प्रभाव ग्राहकों के बीच हो रहे लेनदेन या एग्रीमेंट नहीं पड़ता।