रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कर्नाटक में स्थित द कारवार अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के खिलाफ सख्ती दिखाई है। लाइसेंस रद्द हो गया है। 23 जुलाई 2025 से इस बैंक को बिजनेस बंद करने का आदेश जारी किया गया है। आरबीआई ने कर्नाटक के रजिस्ट्रार ऑफ़ को-ऑपरेटिव सोसाइटी को इस बैंक को बंद करने एक परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध भी किया है।
बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 56 और 5 (बी )के तहत बैंक को जमा स्वीकार करने या जमा राशि का भुगतान करने सहित बैंकिंग व्यवसाय को जारी रखने से रोका गया है। लोन और एडवांस स्वीकृत करने की अनुमति भी नहीं होगी। इस कारवाई का असर बैंक से संबंधित ग्राहकों पर भी पड़ेगा।
ग्राहक निकाल पाएंगे इतनी राशि
आरबीआई द्वारा जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक प्रत्येक ग्राहक डीआईसीजीसी अधिनियम 1961 के प्रावधानों के तहत जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (DICGC) से 5 लाख रुपये तक की मौद्रिक सीमा तक अपनी जमा राशि की जमा बीमा दावा राशि को हासिल करने का हकदार होगा। बैंकों की ओर जारी आंकड़ों के मुताबिक 92.90% ग्राहक जमा राशि की पूरी राशि प्राप्त करने के हकदार हैं। वहीं 30 जून तक बीमा राशि में से 37.79 करोड़ रुपये का भुगतान पहले ही कर दिया गया है।
आखिरी आरबीआई ने क्यों उठाया इतना बड़ा कदम?
आरबीआई ने बताया कि बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और कमाई की संभावनाएं नहीं है। ऐसे में बैंकिंग विनियम अधिनियम के कई प्रावधानों का उल्लंघन होता है। इसका चालू रहना जमाकर्ताओं के हितों के प्रतिकूल है। बैंक की स्थिति इतनी खराब है कि यह अपने वर्तमान जमाकर्ताओं को पुनर्भुगतान भी नहीं कर सकता है। यदि बैंक को आगे बिजनेस जारी रखने की अनुमति दी जाती है तो जनहित पर इसका काफी गहरा प्रभाव पड़ेगा।
बता दें देश के सभी बैंकों और नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों को रेगुलेट करने की जिम्मेदारी आरबीआई की होती है। नियमों का उल्लंघन होने पर केंद्रीय बैंक सख्त कार्रवाई करता है। मौद्रिक जुर्माना लगाता है। वहीं ग्राहकों के हितों का ध्यान में रखते हुए बैंकों का लाइसेंस भी रद्द करता है। 21 जुलाई को महाराष्ट्र के 10 एनबीएफसी का लाइसेंस आरबीआई ने रद्द कर दिया था चार बैंकों पर जुर्माना भी लगाया गया था।





