भारत के सभी बैंक और एनबीएफसी रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया से जुड़े हुए हैं। इन्हें रेगुलेट करने के लिए कई नियम निर्धारित किए हैं। जिसका अनुपालन सही से न होने पर केंद्रीय बैंक अक्सर सख्त कदम उठाता रहता है। 10 जुलाई को तीन बैंकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का मामला सामने आया है। RBI ने इससे संबंधित नोटिफिकेशन भी जारी किया है।
सूची में शामिल किसी बैंक ने लोन तो किसी ने यूसीसी से संबंधित नियमों का सही से अनुपालन नहीं किया है। बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 के विभिन्न धाराओं के तहत इनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। फाइनेंशियल स्टेटस को लेकर किए गए एक निरीक्षण के दौरान दिशा निर्देशों की अनदेखी का खुलासा हुआ था। जिसके बाद कारण बताओं नोटिस जारी किया गया। आगे की जांच में आरोपों की पुष्टि हुई। जिसके बाद यह आरबीआई द्वारा यह कदम उठाया गया है।
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, नागपुर महाराष्ट्र पर 1.50 लाख रुपये जुर्माना लगाया है। बैंक को 8 जुलाई को जारी किया गया था। इस बैंक ने निदेशकों से संबंधित लोन स्वीकृत किए। इसके अलावा एसएएफ के तहत जारी निर्देशों का पालन न करने पर नए लोन और एडवांस के लिए एकल उधारकर्ता जोखिम सीमा को लागू नियामक सीमा के 50% तक कम नहीं किया।
PR689502C1B7BE7A542C4ABE8FE8068349770महेश अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड
महाराष्ट्र में स्मथिति हेश अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, परली वजिनाथ के खिलाफ भी सख्ती दिखाई गई है। 50000 रुपये का जुर्माना आरबीआई ने लगाया है। इस पर एसएएस के तहत जारी गाइडलाइंस के तहत नए लोन और एडवांस के लिए एकल उधारकर्ता जोखिम सीमा को लागू नियामक सीमा के 50% तक कम न करने का आरोप है। इसके अलावा बैंक ने एसएलआर निवेशकों के लिए एकल प्रतिपक्ष जोखिम सीमा का उल्लंघन भी किया।
PR690257DEFC4C2554FB3ABE44AD92A087BA9सोलापुर जनता सहकारी बैंक लिमिटेड
सोलापुर जनता सहकारी बैंक लिमिटेड पर आरबीआई ने 15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इसने बैंक के उपनियमों में सहकारी समिति को बैंक के सदस्य के रूप में प्रवेश की अनुमति दी गई थी, जो कि बीआर अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ था।
PR6883B698106EDD748D7B7B4897F572B7063क्या ग्राहकों के लिए चिंता का विषय?
तीनों बैंकों के खिलाफ की गई आरबीआई की कार्रवाई नियमों के अनुपालन में खामियों पर आधारित है। इसका प्रभाव ग्राहकों और बैंकों के बीच हो रहे किसी भी लेनदेन या एग्रीमेंट पर नहीं पड़ेगा। ना ही भविष्य में केंद्रीय बैंक द्वारा होने वाली किसी अन्य कार्रवाई पर भी इसका असर पड़ने वाला है।





