एक बार फिर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की बड़ी कार्रवाई सामने आई है। केंद्रीय बैंक ने चार बैंकों पर भारी जुर्माना लगाया है। इस लिस्ट में शामिल दो बैंक मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में स्थित हैं। अन्य बैंक महाराष्ट्र और बिहार में स्थित है। इस बार की जानकारी केंद्रीय बैंक ने 17 फरवरी सोमवार को दी है।
नियमों की अनदेखी करने पर फाइनेंस कंपनी पिनेकल कैपिटल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, झारखंड पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इस कंपनी ने आरबीआई के पूर्व अनुमोदन के बिना कुछ उधारकर्ताओं को क्रेडिट कार्ड की प्राप्ति में क्रेडिट लाइन जारी की थी। किसी तीसरे पक्ष के पास-थ्रू खाते के माध्यम से उधारकर्ताओं को ऋण वितरित भी किया था।

एमपी के इन दो बैंकों पर चला आरबीआई का डंडा
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित लक्ष्मीबाई महिला नागरिक सहकारी बैंक मर्यादित पर 4.20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। सतना में स्थित श्री बालाजी अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर केंद्रीय बैंक ने 1.10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। लक्ष्मी बाई महिला नागरिक सहकारी बैंक मर्यादित ने निदेशक से संबंधित लोन स्वीकृत किए। निर्धारित समय के भीतर चेतावनी पत्र जारी करने के बाद वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए पीएसएल लक्ष्य की उपलब्धि में कमी के खिलाफ सिडबी के साथ बनाए गए एमएससी पुनर्वित्त कोष में निर्दिष्ट राशि जमा करने में भी विफल रहा। श्री बालाजी अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड भी निर्धारित समय के भीतर चेतावनी पत्र जारी करने के बाद वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए पीएसएल लक्ष्य की उपलब्धि में कमी के खिलाफ सिडबी के साथ बनाए गए एमएससी पुनर्वित्त कोष में निर्दिष्ट राशि जमा नहीं कर पाया।
इन बैंकों पर भी लगा जुर्माना
मुजफ्फरपुर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर आरबीआई ने 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। बैंक निर्धारित समय के भीतर के ग्राहकों के केवाईसी को अपडेट नहीं कर पाया। द धुले एंड नंदुबार डिस्ट्रिक्टसेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, धुले महाराष्ट्र पर 25000 रूपये का जुर्माना लगाया गया है। यह बैंक चार सीआईसी में से किसी भी एक में उधारकर्ताओं की क्रेडिट इन्फॉर्मेशन क्रेडिट इनफॉरमेशन की जानकारी जमा करने में विफल रहा।
क्या ग्राहकों पर पड़ेगा असर?
निरीक्षण के दौरान नियमों में उल्लंघन का खुलासा हुआ। जिसके बाद आरबीआई ने बैंकों और कंपनी को नोटिस जारी किया। नोटिस पर आए जवाब और आगे की जांच के बाद आरोपों की पुष्टि होने पर मौद्रिक जुर्माना लगाने का निर्णय लिया गया। इस कार्रवाई का उद्देश्य ग्राहकों और बैंक या कंपनी के बीच हो रहे लेनदेन या समझौते पर प्रभाव डालना नहीं है।