दो बैंक और एक फाइनेंस कंपनी पर गिरी गाज, RBI ने ठोका भारी जुर्माना, ये है वजह, जानने के लिए पढ़ें खबर 

आरबीआई ने एक बार फिर नियमों की अनदेखी होने पर सख्ती दिखाई है। एक बैंक पर मौद्रिक जुर्माना लगा है। जांच के दौरान निर्देशों के अनुपालन में खामियों का पता चला है। आइए जानें क्या ग्राहकों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा?

Manisha Kumari Pandey
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भारती रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर दिशा निर्देशों का सही से अनुपालन न होने पर दो बैंकों पर जुर्माना लगाया है। इस संबंध में आरबीआई ने प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। वित्तीय स्थिति के संबंध में संवैधानिक निरीक्षण किया गया था। इस दौरान नियमों में अनदेखी खुलासा हुआ। जिसके बाद केंद्रीय बैंक ने बैंकों को कारण बताओं नोटिस जारी किया। नोटिस पर प्रतिक्रिया प्राप्त होने के बाद जांच की गई। आरोपों की पुष्टि होने के बाद ही मॉनिटरी पेनल्टी लगाने का फैसला लिया गया।

बिहार में स्थित द मगध सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड ने केवाईसी से संबंधित नियमों का उल्लंघन किया है। इसलिए आरबीआई ने बैंक पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। वहीं द हॉन्गकोंग एंड शांगहाई बैंकिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड पर 66.60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

बैंकों ने किया इन नियमों का उल्लंघन 

द मगध सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड ने 6 महीने में कम से कम एक बार खातों के जोखिम वर्गीकरण की आर्थिक समीक्षा करने के लिए एक सिस्टम स्थापित नहीं कर पाया। वहीं द हॉन्गकोंग एंड शांगहाई बैंकिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड ने एएमएल अलर्ट के निपटान या समापन का काम एक ग्रुप कंपनी को आउटसोर्स किया था। इसके अलावा कुछ उधारकर्ताओं कि सुरक्षित विदेशी मुद्रा जोखिम की रिपोर्ट सीआईसी को नहीं दी थी। इतना ही नहीं कुछ अयोग्य के संस्थानों के नाम पर बचत खाते भी खोले थे।  हालांकि ग्राहकों को चिंतित होने की जरूरत नहीं है। बैंक और कस्टमर के बीच हो रहे लेनदेन या किसी भी समझौते की वैधता पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस बात की पुष्टि खुद केंद्रीय बैंक ने की है।

इस कंपनी पर लगा जुर्माना 

आरबीआई ने आईआईएफएल समस्त फाइनेंस लिमिटेड 33.10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। कंपनी ने आरबीआई के “निष्पक्ष व्यवहार संहिता” पर निर्देशों का उल्लंघन करते हुए कुछ उधारकर्ताओं को लोन के असली वितरण या चेक जारी करने की तिथि से पहले की अवधि के लिए ऋण पर ब्याज लगाया। 90 दिनों या उससे अधिक समय से बकाया कुछ लोन खातों पर एनपीए के रूप में वर्गीकृत करने में विफल रहा। कुछ ऋण खातों को जो एनपीए थे, ब्याज और मूल राशि के पूरे बकाया की वसूली के बिना मानक संपत्ति के रूप में वर्गीकृत किया। इसके अलावा प्रत्येक व्यक्तिगत ग्राहक को एक विशिष्ट ग्राहक पहचान कोड देने की बजाय कुछ व्यक्तिगत  ग्राहकों को कई ग्राहक पहचान कोड अलॉट किए।


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